संयुक्त राष्ट्र में भारत ने फिलिस्तीन का दिया साथ; इजरायल से भी निभाई अपनी दोस्ती!

संयुक्त राष्ट्र में भारत ने फिलिस्तीन का दिया साथ; इजरायल से भी निभाई अपनी दोस्ती!

India supported Palestine in the United Nations; Maintained his friendship with Israel also!

इजरायल और हमास युद्ध के बीच निर्दोष फिलिस्तीनियों की भी मौतें हो रही हैं, जबकि संयुक्त राष्ट्र मंच की ओर से भी इस युद्ध के दौरान बड़ी संख्या मारे गए निर्दोष को लेकर भी कई देशों ने आवाज उठाती रही हैं| वही संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से भी इजरायल को युद्ध विराम की बात कही गयी, लेकिन युद्धोन्माद इजरायल के कानों पर अभी तक जूं नहीं रेंग रही है| इस युद्ध में लाखों की संख्या में निर्दोष नागरिक और बड़ी संख्या में बच्चों तथा महिलाओं की मौत हुई है|

संयुक्त राष्ट्र में एक तरफ जहां भारत ने फिलिस्तीन का साथ दिया तो वहीं इजरायल से भी अपनी दोस्ती निभाई है। संयुक्त राष्ट्र में भारत ने गजब की कूटनीति दिखाई है। एक तरफ जहां भारत ने फलस्तीन का साथ दिया तो वहीं इजरायल से भी अपनी दोस्ती निभाई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में दो प्रस्ताव पारित किए गए थे, जिसमें से एक में गाजा पट्टी में इजरायली सेना की कार्रवाई अविलंब रोके जाने, वहां की घेराबंदी को खत्म किए जाने और इजरायल को हथियारों की आपूर्ति रोके जाने से संबंधित प्रस्ताव पारित हो गया लेकिन भारत उससे दूर रहा।

मानवाधिकार परिषद में पेश एक अन्य प्रस्ताव में फलस्तीनियों के लिए स्वतंत्र देश की स्थापना और उनके आत्मनिर्णय के अधिकार से संबंधित प्रस्ताव पर भारत ने पक्ष में मतदान किया। इस प्रस्ताव के समर्थन में भारत सहित 42 सदस्य देशों ने मतदान किया जबकि अमेरिका और परागुए ने विरोध में मत दिया। बता दें कि भारत की स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र के गठन के समर्थन की पुरानी नीति है, मोदी सरकार इजरायल के साथ संबंध मजबूत करने के साथ ही फिलिस्तीन से संबंधित देश की नीति को बरकरार रखे हुए है।

युद्धविराम के पक्ष में रहे ये देश: युद्धविराम के पक्ष में मतदान करने वाले देशों में रूस, चीन, बांग्लादेश, बेल्जियम, ब्राजील, इंडोनेशिया, मलेशिया, कुवैत, मालदीव, कतर, दक्षिण अफ्रीका, यूएई और वियतनाम प्रमुख थे। प्रस्ताव के विरोध में इजरायली राजदूत ने सत्र का बहिष्कार किया।

संयुक्त राष्ट्र संघ में पेश हुए प्रस्ताव पर परिषद ने गाजा में इजरायली सेना की मानवाधिकारों के उल्लंघन वाली घटनाओं पर चिंता जताई है और उसकी निंदा की है। 47 सदस्यों वाली परिषद में 28 देशों ने प्रस्ताव के समर्थन में वोट डाला, जबकि छह ने विरोध में वोट दिया, 13 सदस्य देश मतदान से दूर रहे। भारत ने फ्रांस, जापान, रोमानिया और अन्य के साथ प्रस्ताव से दूरी बनाई जबकि अमेरिका, जर्मनी, बुल्गारिया और अर्जेंटीना प्रस्ताव का विरोध करने वाले प्रमुख देशों में थे।

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