शीतकाल​ सत्र: ​अब्दुल सत्तार पर हमला करने वाले विरोधी चुप क्यों हैं?

अब्दुल सत्तार और संजय राठौड़ पर जमीन घोटाले का आरोप था| आगे वास्तव में क्या हुआ, आरोप सही थे या झूठे? इसका जवाब लोगों को मिलना चाहिए। यह सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है। लेकिन विपक्ष की अचानक चुप्पी से जनता सोच रही है कि सत्तार और संजय राठौड़ का आगे क्या होगा|

शीतकाल​ सत्र: ​अब्दुल सत्तार पर हमला करने वाले विरोधी चुप क्यों हैं?

Winter Session: Why are the opponents who attacked Abdul Sattar silent?

अब्दुल सत्तार के इस्तीफे को लेकर सुबह तक आक्रामक रहा विपक्ष आज शाम तक अचानक शांत हो गया. दरअसल विपक्ष ने आज विधानसभा और विधान परिषद दोनों ही सदनों में इस मुद्दे पर आवाज नहीं उठाई|कार्यकर्ता वारकरी के वेश में सीढ़ियों पर भजन भी किया। इसलिए सभी ने सोचा कि अब्दुल सत्तार के मुद्दे पर आज विपक्ष सदन का काम नहीं चलने देगा| लेकिन हॉल में इसके उलट तस्वीर देखने को मिली| कल अब्दुल सत्तार के मुद्दे पर काम दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया|

हालांकि आज विपक्ष इस मुद्दे पर सदन में खामोश रहा |अब्दुल सत्तार और संजय राठौड़ के इस्तीफे को लेकर विधान परिषद में कोई आवाज नहीं उठाई गई| न ही विधानसभा में। तो अब्दुल सत्तार के सवाल पर चुप क्यों रहा विपक्ष? ऐसा सवाल उठाया गया है।

अब्दुल सत्तार ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए वाशिम जिले में 150 करोड़ की गायरान की 37 एकड़ जमीन एक निजी व्यक्ति को दे दी। नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने गंभीर आरोप लगाया है कि सत्तार के सिल्लोद विधानसभा क्षेत्र में हो रहे सिल्लोड कृषि महोत्सव को लेकर कृषि विभाग वसूली अभियान चला रहा है|
 
विपक्ष ने शिंदे गुट के इन दोनों मंत्रियों पर गंभीर आरोप लगाए थे| इसके लिए पूरे दिन काम टाल दिया गया। लेकिन न तो अब्दुल सत्तार और न ही संजय राठौड़ ने अभी तक इन दोनों आरोपों का जवाब दिया है| फिर भी विपक्ष खामोश है। वास्तव में सदन में एक बार जब कोई मुद्दा उठाया जाता है, तो उस पर चर्चा की जानी चाहिए।
अब्दुल सत्तार और संजय राठौड़ पर जमीन घोटाले का आरोप था| आगे वास्तव में क्या हुआ, आरोप सही थे या झूठे? इसका जवाब लोगों को मिलना चाहिए। यह सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है। लेकिन विपक्ष की अचानक चुप्पी से जनता सोच रही है कि सत्तार और संजय राठौड़ का आगे क्या होगा|
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