नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अलपन बंद्योपाध्याय पर कड़ी कार्रवाई के संकेत दे दिए हैं। अगर,नोटिस के जवाब से केंद्र सहमत नहीं होता है तो अलपन पर कार्रवाई तय है। अब केंद्र ने अलपन पर कार्रवाई की वजह भी बताई है। केंद्र कहना है कि अलपन बंद्योपाध्याय पीएम बैठक में देरी से आने बाद तुरंत निकल भी गए थे। वे अपने कर्तव्यों की उपेक्षा की है। वहीं, ममता बनर्जी की बात की जाये तो अभी तक जितनी भी बातें बंगाल सियाम ने कही है सब झूठ है ,यह राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी कहा है। खबरों में में कहा गया है कि ममता बनर्जी ने विपक्ष नेता शुभेन्दु अधिकारी के न आने पर बैठक में शामिल होना चाहती थीं। उनका यह कहना कि कहीं और बैठक में जाना है,दोनों बातें मेल नहीं खा रहे हैं।
केंद्र सरकार के सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई से बताया कि यह आदेश पूरी तरह से संवैधानिक है क्योंकि मुख्य सचिव एक अखिल भारतीय सेवा अधिकारी होते हैं। उन्होंने अपने संवैधानिक कर्तव्यों की उपेक्षा की, जिसके परिणामस्वरूप वह प्रधानमंत्री के समक्ष नहीं पेश हुए और न ही पश्चिम बंगाल सरकार का कोई भी अधिकारी प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक में शामिल हुआ। दरअसल, पूर्व मुख्य सचिव अलापन को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए तलब किया गया था क्योंकि वह पिछले सप्ताह चक्रवात यास के बाद समीक्षा बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक प्रस्तुति देने में विफल रहे थे। सूत्रों के मुताबिक वह बिना उचित कारण बताए मुख्यमंत्री के साथ बैठक से निकल गए।
सूत्रों ने कहा कि मुख्य सचिव की सेवानिवृत्ति से पता चलता है कि ममता बनर्जी बैकफुट पर हैं। वह जानती हैं कि मामले के तथ्य मुख्य सचिव के खिलाफ हैं और उनका व्यवहार ऐसा था कि यह सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई को आमंत्रित करेगा क्योंकि वह एक अखिल भारतीय सेवा अधिकारी हैं और यह सुनिश्चित करना उनका कर्तव्य है कि समीक्षा बैठक निर्धारित समय के अनुसार हो। अखिल भारतीय अधिकारियों से राजनीति का हिस्सा होने की उम्मीद नहीं की जाती है। ममता बनर्जी यह सब जानती हैं और उनकी सेवानिवृत्ति उन्हें बचाने के लिए अंतिम बोली है।
प्रधानमंत्री से तीन महीने के लिए मुख्य सचिव के विस्तार की पुष्टि करने का अनुरोध करने से लेकर अब उन्हें सेवानिवृत्त करने तक ममता बनर्जी ने कुछ ही घंटों में एक बड़ा यू-टर्न ले लिया है। इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता ने पूर्व मुख्य सचिव के बारे में केंद्र के कदम को एकतरफा आदेश कहा था और तर्क दिया कि यह आदेश कानूनी रूप से “अस्थिर, अभूतपूर्व, असंवैधानिक” है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के साथ बिना परामर्श के यह फैसला लिया गया।
केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने बंद्योपाध्याय को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को रिपोर्ट नहीं करने के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया।
ममता ने पूर्व मुख्य सचिव को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर ट्रांसफर करने के केंद्र सरकार के फैसले पर भी सवाल उठाए क्योंकि उन्हें हाल ही में तीन महीने का विस्तार मिला था। केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार ने मुख्य सचिव की सेवा का विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की थी, यह दर्शाता है कि केंद्र पश्चिम बंगाल के साथ पूर्ण सहयोग और द्वेष के बिना काम कर रहा है। सरकारी सूत्रों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा लगाए गए अन्य आरोपों का भी खंडन किया कि उन्हें समय पर प्रधानमंत्री मोदी की बैठक के बारे में सूचित नहीं किया गया था। सूत्रों ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने ममता बनर्जी को बैठक से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी, जैसा कि उन्होंने दावा किया था।
ममता की पहले हां फिर ना : सूत्रों ने कहा कि ममता बनर्जी बैठक में शामिल होने के लिए सहमत हो गई थीं। हालांकि, यह जानने के बाद कि विपक्ष के नेता (एलओपी) बैठक का हिस्सा बनने जा रहे थे, उन्होंने अपना विचार बदल दिया, जिसका उन्होंने अपने पत्र में भी उल्लेख किया है। इसलिए यह स्पष्ट है कि उनका पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम कोई मुद्दा नहीं था। इसकी पुष्टि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने भी की थी, जिन्होंने ट्वीट किया था कि ममता ने उनसे कहा था कि अगर विपक्ष के नेता बैठक में शामिल होते हैं तो वह बैठक का बहिष्कार करेंगी।