शहरी के बाद गंवई पर BJP का फोकस

शहरी के बाद गंवई पर BJP का फोकस

file photo

लखनऊ। 2014 में हर गली-मोहल्ला पीएम मोदी से जुड़े स्लोगन बच्चों से सुने जा सकते थे। आज भी उसी तरह पीएम मोदी की योजनाओं और उनके कार्यों की प्रशंसा सुनी जा सकती है। बीजेपी की यूपी में बनी योगी सरकार भी जनता के हितों में बड़े फैसले लिए हैं, जिसकी वजह से कभी शहर की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी आज गांव-कस्बों में मजबूत पकड़ बना चुकी है। ग्राम पंचायत ,जिला प्रमुख के अलावा कई पंचायतीय चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर चुकी भाजपा की नजर अब आगामी विधानसभा चुनाव पर है। सवाल यह उठने लगे हैं कि शहरी पार्टी गंवई कैसे हो गई।
किसानों का 36 हजार करोड़ का कर्ज किया माफ: भाजपा की इस सफलता के पीछे किसानों के ऋण माफी योजना के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य को डेढ़ गुना करने के फैसले हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनावों में भाजपा ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की। जिला पंचायत अध्यक्ष की 75 में से 67 सीटें भाजपा के खाते में गईं। पहली बार सपा के गढ़ में भी भाजपा ने अपना परचम फहराया। राजनीति के जानकारों का यह मानना है कि मुख्यमंत्री की अगुआई में गांवों में पैठ बढ़ाने के लिए भाजपा सरकार ने नियोजित तरीके से काम किया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार सीएम योगी ने पहली ही कैबिनेट में 84 हजार लघु सीमांत किसानों का 36 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया था। प्रदेश में ऐसे किसानों की संख्या करीब 92 फीसद है।
 न्यूनतम समर्थन मूल्य डेढ़ गुना किया: सरकार ने फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य उनकी लागत का डेढ़ गुना कर किया। धान, गेहूं की रिकॉर्ड खरीद, मक्का और अन्य कुछ फसलों को एमएसपी के दायरे में लाने के निर्णय भी मददगार साबित हुए। यह दावा किया जा रहा है कि गन्ना किसानों को रिकार्ड 1.40 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। किसान सम्मान योजना, मिलीयन फार्मर्स स्कूल के द्वारा पांच लाख से अधिक किसानों को जोड़ना, पहली बार बटाईदारों को बीमा सुरक्षा देने का फायदा मिला।
कई योजनाओं ने गांव तक बनाई पैठ: पीएम आवास, किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, उज्ज्वला-आयुष्मान भारत, पीएम आरोग्य योजनाओं को प्रदेश सरकार ने सफलतापूर्वक लागू कर ग्रामीण इलाकों में अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का काम किया। गांवों में पकड़ बनाने के लिए सरकार की हर ग्राम पंचायत में पंचायत भवन, कॉमन फैसिलिटी सेंटर सामूहिक शौचालय बनाने, शौचालयों के रखरखाव के लिए तय मानदेय पर रोजगार दिया।
Exit mobile version