वक्फ संशोधन बिल 2025 को लेकर देशभर में कुछ मुस्लिम संगठनों के विरोध के बीच यह बात ध्यान देने योग्य है कि सरकार का उद्देश्य इस कानून के जरिए वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता, बेहतर प्रबंधन और संरक्षण सुनिश्चित करना है, ताकि मुसलमानों द्वारा धर्म और समाज के कल्याण के लिए दान की गई संपत्तियां सुरक्षित रहें और उनका दुरुपयोग न हो।
जबकी वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता की कमी, संपत्तियों की अवैध बिक्री, कब्जे और दुरुपयोग को रोकने के लिए यह संशोधन अनिवार्य है। इस कानून के तहत वक्फ बोर्डों की जवाबदेही बढ़ेगी, प्रबंधन में प्रोफेशनलिज्म आएगा और जनता के हितों की रक्षा होगी।
हालांकि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने 30 अप्रैल को रात 9 बजे ब्लैकआउट और 22 अप्रैल को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में मौन प्रदर्शन का ऐलान किया है। बोर्ड का कहना है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता पर हमला है। AIMPLB महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्दिदी ने कहा, “यह कानून इस्लामी मूल्यों, शरिया, धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान की बुनियाद पर हमला है। हम इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।”
लेकिन क्या है कानून की असल मंशा?
सरकार ने बार-बार स्पष्ट किया है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है। इसमें वक्फ बोर्ड में विशेषज्ञों और प्रशासनिक अनुभव रखने वाले लोगों को शामिल करना, वक्फ संपत्तियों पर सरकारी निगरानी और अनियमितताओं की जांच जैसे प्रावधान हैं, ताकि दानकर्ताओं की नीयत के अनुसार संपत्तियों का उपयोग हो।
बिल में यह भी प्रस्तावित है कि कोई भी व्यक्ति जो संपत्ति को वक्फ घोषित करता है, उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि वह वास्तव में इस्लाम के सिद्धांतों का पालन कर रहा हो, ताकि दान की गई संपत्तियों का इस्लामी उद्देश्य से दुरुपयोग न हो।
AIMPLB का राष्ट्रव्यापी आंदोलन
AIMPLB ने ‘वक्फ संरक्षण सप्ताह’ (18 अप्रैल तक), प्रेस कॉन्फ्रेंस, राष्ट्रपति को ज्ञापन, प्रतीकात्मक गिरफ्तारी और देशभर में प्रदर्शन की योजना बनाई है। 4 अप्रैल को कई शहरों में बड़े विरोध प्रदर्शन हुए, जिनमें लखनऊ, रांची, चेन्नई और अहमदाबाद शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की और कुछ जगहों पर नोटिस जारी कर प्रदर्शनकारियों से जवाब तलब किया गया।
अदालत में चुनौती, लेकिन सरकार आत्मविश्वास में
AIMIM और कांग्रेस सांसदों ने इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। लेकिन सरकार का रुख स्पष्ट है – यह कानून मुसलमानों की आस्था का नहीं, बल्कि उनके दान की गई संपत्तियों की सुरक्षा का मुद्दा है। वक्फ संपत्तियां न तो किसी राजनीतिक संगठन की निजी जागीर हैं, न ही किसी समूह का विशेषाधिकार। ये सामूहिक संपत्तियां हैं, जिनका संरक्षण सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है।
अब देखना होगा कि विपक्षी दबाव के बावजूद, क्या सरकार अपने रुख पर कायम रहती है और मुसलमानों की पवित्र संपत्तियों की पारदर्शी, निष्पक्ष और सुरक्षित व्यवस्था को लागू करती है।
यह भी पढ़ें:
वक्फ कानून पर फैलाए भ्रम मिटाने के लिए RSS से जुड़ा संगठन देशभर में करेगा 500 सभाएं!
देश के लिए महात्मा फुले का अमूल्य योगदान हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा : पीएम मोदी
रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिन की रोक के बाद सेंसेक्स में जोरदार उछाल !



