महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ी खबर सामने आई है| फिलहाल राज्य में मराठा, ओबीसी और धनगर आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है| मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने मांग की है कि मराठों को तुरंत कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाना चाहिए। लेकिन राज्य सरकार द्वारा ऐसा नहीं करने पर ओबीसी समाज पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन कर रहा है| इन मुद्दों पर आज मुंबई के सह्याद्री गेस्ट हाउस में ओबीसी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल की बैठक हुई|बैठक में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, मंत्री छगन भुजबल समेत कई महत्वपूर्ण मंत्री और नेता मौजूद थे| सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ओबीसी के मुद्दे पर अजित पवार और छगन भुजबल के बीच तीखी नोकझोंक हुई है|
बताया गया है कि ओबीसी के मुद्दे पर उपमुख्यमंत्री अजित पवार और मंत्री छगन भुजबल के बीच तीखी नोकझोंक हुई| ओबीसी डेटा के आधार पर बैठक में ही दोनों के बीच मारपीट हो गई| छगन भुजबल द्वारा प्रस्तुत ऐसे कोई भी आंकड़े सच नहीं हैं। अजित पवार ने भुजबल को सीधी चुनौती दी कि अगर ऐसे आंकड़े मौजूद हैं तो वो दिखाएं|
असल में क्या हुआ?: ओबीसी आरक्षण को लेकर ओबीसी महासंघ और अन्य ओबीसी नेताओं ने सह्याद्रि गेस्ट हाउस में सरकार के साथ बैठक की| बैठक में छगन भुजबल ने मंत्रालय में कार्यरत ओबीसी समुदाय के अधिकारियों और कर्मचारियों के आंकड़े पेश किये|ओबीसी के साथ अन्याय हो रहा है| छगन भुजबल ने बताया कि मंत्रालय में ओबीसी समुदाय के कम ही पदाधिकारी हैं| छगन भुजबल की ओर से दी गई जानकारी पर अजित पवार ने आपत्ति जताई| यह जानकारी स्पष्ट रूप से गलत है| बैठक में अजित पवार ने कहा कि अगर यह जानकारी सच है तो भुजबल को इसका सबूत दिखाना चाहिए| इसके बाद दोनों के बीच फिर से नोकझोंक हुई| सूत्रों ने जानकारी दी है कि बैठक में कुछ देर के लिए तनाव का माहौल बन गया|
इस बीच सरकार ने इस बैठक में ओबीसी नेताओं को एक अहम बात कही| सरकार ने ओबीसी नेताओं से कहा कि मराठा समुदाय को कुनबी सर्टिफिकेट नहीं दिया जाएगा| सूत्रों ने जानकारी दी है कि सरकार ने कहा है कि संबंधित प्रमाणपत्र उन्हीं को दिया जाएगा जिनके पुराने दस्तावेजों में कुनबी का जिक्र है| तो अब मनोज जरांगे पाटिल की क्या भूमिका है? ये देखना अहम होगा|
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