लोकसभा में बुधवार (20 अगस्त) को माहौल बेहद गरमा गया जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल के बीच ‘नैतिकता’ को लेकर सीधा टकराव हो गया। सरकार ने तीन विवादित विधेयक पेश किए, जिनके तहत यदि कोई प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री लगातार 30 दिन तक हिरासत में रहता है तो वह स्वतः पद से हट जाएगा, जिस पर बहस के दौरान अमित शाह विपक्ष पर टूट पड़े।
दरअसल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद केसी वेणुगोपाल ने अमित शाह पर व्यक्तिगत हमला बोलते हुए कहा, “जब अमित शाह गुजरात के गृहमंत्री थे तब उन्हें गिरफ्तार किया गया था। क्या उस समय उन्होंने नैतिकता का पालन किया था?” इस टिप्पणी से सदन में जोरदार हंगामा मच गया।
अमित शाह ने तुरंत पलटवार करते हुए कहा, “मुझे फर्जी केस में फंसाया गया था, फिर भी मैंने इस्तीफा दिया और बरी होने से पहले कोई संवैधानिक पद नहीं संभाला। आप मुझे नैतिकता सिखाएंगे?” शाह के इस जवाब पर एनडीए सांसदों ने जोरदार समर्थन जताया।
गौरतलब है कि 2010 में सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई ने अमित शाह को गलत तरीक़े से गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने गुजरात के गृहमंत्री पद से इस्तीफा दिया और करीब तीन महीने जेल में बिताए थे। 2014 में विशेष सीबीआई अदालत ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया।
बुधवार को संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, केंद्रशासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक को संयुक्त समिति के पास भेजने का प्रस्ताव रखा। विपक्षी सांसद नारेबाजी करते हुए सदन के बीचोंबीच आ गए। तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने पर विधेयकों की प्रतियां फाड़कर शाह की ओर उछालीं, हालांकि बाद में उन्होंने इस आरोप से इनकार कर दिया।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि सरकार देश को पुलिस स्टेट बनाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, “यह प्रावधान चुनी हुई सरकारों पर मौत की घंटी साबित होगा। यह हिटलर की गेस्टापो जैसी व्यवस्था है।” कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी इन विधेयकों को संविधान की मूल संरचना पर सीधा हमला बताया और चेतावनी दी कि इससे राजनीतिक दुरुपयोग की आशंका और बढ़ जाएगी।
वहीं सरकार का कहना है कि ये संशोधन भ्रष्टाचार रोकने और गंभीर अपराधों में फंसे मंत्रियों को पद पर बने रहने से रोकने के लिए जरूरी हैं। प्रस्तावित कानून के अनुसार, यदि किसी प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को ऐसे अपराध में गिरफ्तार किया जाता है, जिसमें पांच साल या उससे ज्यादा की सजा हो सकती है, तो वह लगातार 30 दिन हिरासत में रहने पर स्वतः पद से हटा दिया जाएगा। हालांकि रिहाई के बाद उन्हें पुनः नियुक्त किया जा सकेगा।
यह भी पढ़ें:
केरल में 11 साल की बच्ची को अमीबिक मेनिन्जाइटिस, मामले बढ़कर तीन हुए!
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार, जबरन धर्मांतरण-हिंसा पर चिंता!
अमित शाह का विपक्ष पर हमला, बोले- जनता पहचान चुकी दोहरा चरित्र!
