जेपीसी की रिपोर्ट सदन में पेश होते ही सदन में हंगामा, स्थगिती पश्चात् सत्र में भी विपक्ष नाराज!

विपक्ष के रिपोर्ट में बदलाव के आरोप, किरन रिजिजू ने किए ख़ारिज

जेपीसी की रिपोर्ट सदन में पेश होते ही सदन में हंगामा, स्थगिती पश्चात् सत्र में भी विपक्ष नाराज!

As soon as the JPC report was presented in the House, there was uproar in the House, opposition was angry even in the session after adjournment!

विपक्षी सांसदों के हंगामे और नारेबाजी के गुरुवार (13 फरवरी) को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट राज्यसभा में पेश की गई। भाजपा सांसद मेधा विश्राम कुलकर्णी ने रिपोर्ट पेश की।दौरान भाजपा सांसद और जेपीसी की अध्यक्षा जगदंबिका पाल ने कहा कि जेपीसी छह महीने के राष्ट्रव्यापी विचार-विमर्श के बाद संसद में अपनी रिपोर्ट पेश करने जा रही है।

सांसद जगदम्बिका पाल ने कहा कि समिति ने रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले इनपुट एकत्र करने के लिए देश भर का दौरा किया, जिसमें 14 खंडों में 25 संशोधनों को अपनाना शामिल है। दौरान भाजपा सांसद मेधा कुलकर्णी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर पैनल के समक्ष दिए गए साक्ष्यों के रिकॉर्ड की एक प्रति भी पेश की। जेपीसी रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद संसद के ऊपरी सदन में हंगामा हुआ, जिसके कारण सत्र को सुबह 11.20 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। हालांकि, कार्यवाही फिर से शुरू होते ही फिर से विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया।

जेपीसी रिपोर्ट के राज्यसभा में पेशी के बाद मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाए की जेपीसी में विरोधी पक्ष के सदस्यों द्वारा असहमती जताने वाले डीसेंट नोट्स को हटाया गया है, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा लगाए आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कोई भी असहमति वाला नोट नहीं हटाया गया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मैंने विपक्ष द्वारा उठाई गई चिंताओं की जांच की है। रिपोर्ट से कोई भी बात हटाई या हटाई नहीं गई है। सब कुछ सदन के पटल पर है। किस आधार पर ऐसा मुद्दा उठाया जा सकता है? विपक्ष के सदस्य एक अनावश्यक मुद्दा बना रहे हैं, जो तथ्य नहीं है। आरोप झूठे हैं। जेपीसी ने नियमों के अनुसार पूरी कार्यवाही की… जेपीसी के सभी विपक्षी सदस्यों ने पिछले छह महीनों में सभी कार्यवाही में भाग लिया… सभी असहमति वाले नोट रिपोर्ट के परिशिष्ट में संलग्न हैं… वे सदन को गुमराह नहीं कर सकते”

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दौरान शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अरविंद सावंत ने जेपीसी रिपोर्ट पर  दावा किया कि आवश्यक रूप से खंड-दर-खंड चर्चा नहीं की गई। सांसद अरविंद सावंत ने कहा, “समिति का गठन विधेयक में किए गए खंड-दर-खंड प्रावधानों पर चर्चा करने के लिए किया गया था… जेपीसी अध्यक्ष से पूछा जाना चाहिए कि क्या गवाहों द्वारा दिए गए उत्तर जेपीसी सदस्यों को दिए गए थे। नहीं, उन्हें नहीं दिया गया। जेपीसी की बैठकों में खंड-दर-खंड चर्चा कभी नहीं की गई। इस वजह से, हमने असहमति नोट दिया। उन्होंने हमारे द्वारा दिए गए असहमति नोट को हटा दिया है। हम आज पेश की जाने वाली वक्फ रिपोर्ट के खिलाफ हैं,”

इसी पर भाजपा सांसद और जेपीसी की सदस्या अपराजिता सारंगी ने जेपीसी की रिपोर्ट का बचाव किया, उन्होंने कहा, “देश भर में फैली सभी वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन किया जाना चाहिए। यही अंतिम लक्ष्य है। वक्फ संपत्तियों के रखवाले को अधिक आय मिलनी चाहिए… हमें इन वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण को ‘नहीं’ कहना होगा… सभी विपक्षी पार्टी के सदस्यों के सभी असहमति नोटों को उचित रूप से शामिल किया गया है… मुझे पूरा विश्वास है कि विधेयक दोनों सदनों द्वारा पारित हो जाएगा। विधेयक को पेश करना पूरी प्रक्रिया पर पूर्ण विराम नहीं है… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर कदम के लिए विपक्ष द्वारा समान और विपरीत नकारात्मक प्रतिक्रिया होती है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है…”

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