असं की सरकार ने मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 को निरस्त कर दिया है, जिसके मुकाबले में नया कानून इसी मानसून सत्र में लाया जाएगा। फ़िलहाल निरस्त किए अधिनियम के अनुसार मुस्लिम समुदाय में बालविवाह की अनुमति थी। असं के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है, नए आनेवाले अध्यादेश में बालविवाह की अनुमति नहीं होगी।
बताया जा रहा है की, इस नए कानून के तहत 18 और 21 वर्ष पूर्ण होने वाले बालिक मुस्लिम जोड़े के विवाह का पंजीकरण सरकारी दफ्तर में होगा। रिपोर्ट के अनुसार असम में 2021 से लेकर 2024 तक नाबालिक बच्चों के विवाह में 81 प्रतिशत की गिरावट आयी है।
असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा शर्मा ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, हम बाल विवाह को किसी भी धार्मिक एंगल से नहीं देखते। हमारा प्रयास होता है, लैंगिक समानता प्रस्थापित हो। इसीलिए हमारा लक्ष्य है असम में बाल विवाह समाप्त करने का। अभी हमारी रिपोर्ट के मुताबिक जो जो ट्रेंड दिख रहा है, वो नए कानून को बढ़ावा देता दिखता है। असम में बाल विवाह ख़त्म होने के कागार पर है। इस कानून के आधार पर मुस्लिम विवाह का रजिस्ट्रेशन अब सरकार के पास होगा।
मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा शर्मा ने बताया इस कानून को उन्होंने पहले ही समाप्त कर दिया था। पर आचारसंहिता लगने के कारण असम सरकार उनके लिए कोई कानून नहीं बना पाई और ऑर्डिनेंस निकलना पड़ा। अब इसी आर्डिनेंस के आधार पर मानसून सत्र में नया कानून आएगा। उन्होंने कहा की हर छह महीने में बाल विवाह के मामले में एक गिरफ्तारी होती है। इस कानून के बाद नवंबर दिसंबर के दौरान जो कोई बाल विवाह करवाए या उसे बढ़ावा दे, उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
विरोधियों का कहना है की असम का UCC के तरफ यह पहला कदम है। इसका कारण नए कानून के मुताबिक काज़ी द्वारा मुस्लिम विवाह को दी जाने वाली मान्यता को बदलकर मुस्लिम विवाह को सरकारी कार्यालय में पंजीकृत कराना बताया जा रहा है।
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