मराठा नेता मनोज जारांगे पाटिल ने विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है|इसीलिए भाजपा समर्थक मनोज जारंग की आलोचना कर रहे हैं| इसके बाद अब मनोज जरांगे का नया रोल सामने आया है|इस मौके पर मनोज जारांगे ने अपनी भविष्य की रणनीति के बारे में जानकारी दी| मराठा 6 करोड़ हैं, लेकिन अगर पांच-दस विधायक भी चुने जाते तो भी समाज का झुकना मुझे बर्दाश्त नहीं होता|
मनोज जारांगे पाटिल ने कहा कि क्या हमने इतना बुरा निर्णय लिया है? हमारी कुछ राजनीति कुलीन मामला नहीं है। क्या हम यहां राजनीति के लिए हैं? मैं मराठा समुदाय को आरक्षण देना चाहता हूं| यह हमारा मूल उद्देश्य है। इस बार मनोज जरांगे को कौन हराएगा? ऐसा प्रश्न पूछा गया| उन्होंने कहा, ”ऐसा नहीं होगा, क्या एक-दो दिन में मन नहीं भर जाएगा| मैं कुछ निर्देश देने जा रहा हूं| समाज के लिए मेरा योगदान व्यर्थ नहीं जाएगा।’
मनोज जारांगे पाटिल ने अपील की मैं इसे सही करने जा रहा हूं| मराठा समाज को मुझ पर बेटे जैसा भरोसा करना चाहिए| शांत रहें मैं ईमानदार खून का हूं, बेईमानी नहीं करूंगा। तनाव नहीं लेना चाहते हैं।
‘हमारी ताकत बर्बाद नहीं होनी चाहिए’: ‘कुछ निर्दलीयों ने भी बांड भरने, वीडियोग्राफी कराने वालों के फॉर्म डाल दिए हैं। वह मुझे आज जानने लगा है. कुछ ने उस तार पर रूप रख दिये हैं।अब मैं मराठा समाज से कह रहा हूं कि मैं किसी का बांड नहीं लूंगा और न ही आपको लेना चाहिए| क्योंकि जो लोग निर्वाचित नहीं होंगे, उन्होंने भी बांड देना शुरू कर दिया है|
मराठा समाज क्या करना चाहता है? हम अपनी ताकत बर्बाद नहीं करना चाहते| क्योंकि चुने जाने का एक गणित है, उसके आधार पर मराठा समुदाय के वोट देकर उन्हें चुना जाना है| मनोज जरांगे पाटिल ने पूछा कि अगर किसी ने लिखा और वह हार गए, तो हमें अपना उम्मीदवार खड़ा करने में क्या परेशानी थी?
‘मनोज जारांगे की अहम अपील’: ”मराठा समुदाय के कई प्रमुख कार्यकर्ताओं ने अर्जी दाखिल की थी, लेकिन उन्होंने एक शब्द में आवेदन वापस ले लिया| इसका मतलब यह है कि उन्होंने समाज के साथ गद्दारी नहीं की| कुछ ने अपना आवेदन वापस नहीं लिया| कुछ लोग कहते हैं कि मैंने बांड दे दिया है,लेकिन हमने किसी को बांड नहीं दिया है|
मनोज जारांगे पाटिल ने अपील कि की “मैं मराठा समुदाय को परेशानी में नहीं डालना चाहता। दस-बीस लोग राजनीति में जाने की बात कर रहे थे| अगर मुझे राजनीति का शौक होता तो मैं 50 उम्मीदवार खड़े करता। मैं अपनी ताकत दे देता| राज्य पर मेरा आधिपत्य होता| मेरा स्ट्राइक रेट उतना नहीं है| मेरा प्रहार मराठा समाज है| मैं राजनीति नहीं जानता, मैं गरीबों का ख्याल रखना चाहता हूं।”
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