नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक घोटाले में पांच साल कैद की सजा पाने वाले सावनेर से कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री सुनील केदार की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है। विधानमंडल सचिवालय की ओर से अधिसूचना जारी की गयी|शुक्रवार को जिला सत्र न्यायालय ने केदार को पांच साल कैद की सजा सुनाई। यह कानून है कि किसी भी जनप्रतिनिधि को दो साल से अधिक की सजा होने पर उसकी सदस्यता रद्द कर दी जायेगी|केदार का सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इलाज चल रहा है।इसे कांग्रेस के लिए झटका माना जा रहा है|
बीस साल पहले नागपुर डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में हुए 150 करोड़ रुपये के बांड घोटाले के मुख्य आरोपी और बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष कांग्रेस नेता सुनील केदार को पांच साल की कैद और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। आख़िर यह घोटाला क्या है और यह मामला अदालत में इतने लंबे समय तक क्यों चल रहा है?
जिला बैंक बांड घोटाला क्या है?: जब सुनील केदार वर्ष 2001-2002 में नागपुर जिला बैंक के अध्यक्ष थे, तब बैंक ने निजी कंपनियों होम ट्रेड लिमिटेड, इंद्रमणि मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, सेंचुरी डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड, सिंडिकेट मैनेजमेंट की मदद से सर्विसेज और गिल्टेज मैनेजमेंट सर्विसेज 150 करोड़ रुपये के बांड (शेयर) खरीदे गए। सहकारी अधिनियम के अनुसार, बैंक के निदेशक मंडल की पूर्व अनुमति के बिना बैंक का पैसा कहीं और निवेश करना प्रतिबंधित है।
बांड खरीद ने इस नियम का उल्लंघन किया। इन कंपनियों ने खरीदे गए बांड का भुगतान बैंक को नहीं किया और बाद में ये निजी कंपनियां दिवालिया हो गईं। नतीजा ये हुआ कि बैंक का और बैंक में जमाकर्ताओं का पैसा डूब गया| इस मामले में सुनील केदार समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था और केदार को गिरफ्तार भी किया गया था|
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