शरद पवार ने मंगलवार को एक घोषणा करके हर किसी को चौंका दिया। उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है और भविष्य में चुनाव नहीं लड़ेंगे। शरद पवार ने कहा, ‘मैंने अपना राजनीतिक जीवन 1 मई, 1960 को शुरू किया था। इतने लंबे राजनीतिक करियर के बाद कहीं रुकने के बारे में सोचना चाहिए।
पवार ने कहा की भविष्य की कार्रवाई तय करने के लिए राकांपा के वरिष्ठ नेताओं की एक समिति बनाई जाए। समिति में प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे, पीसी चाको, नरहरि जिरवाल, अजीत पवार, सुप्रिया सुले, जयंत पाटिल, छगन भुजबल, दिलीप वलसे-पाटिल, अनिल देशमुख, राजेश टोपे, जितेंद्र अवध, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडे, जयदेव गायकवाड़ और पार्टी फ्रंटल सेल के प्रमुख शामिल होंगे।
ऐसा ही कुछ आज से 30 साल पहले यानी 1992 में हुआ था। उस वक्त शिव सेना के सुप्रिमो बाल ठाकरे ने भी इस्तीफे की पेशकश कर हर किसी को चौका दिया था। काडर और सरकार पर अपनी पकड़ साबित करने के लिए बाल ठाकरे ने ऐलान किया था कि मैं शिवसेना छोड़ रहा हूं। वहीं शिवसेना जिसे साठ के दशक से उन्होंने सींचा था, खड़ा किया था। लेकिन इसके बाद वह और मजबूत होकर उभरते हैं। मंत्री, पार्षद सब सुप्रीमो के पीछे और सबकी जुबान पर एक ही नारा कि हमें सरकार नहीं साहेब चाहिए।
बाल ठाकरे ने पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखा था, ‘अगर एक भी शिवसैनिक मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ खड़ा होकर कहता है कि मैंने आपकी वजह से शिवसेना छोड़ी या आपने हमें चोट पहुंचाई, तो मैं एक पल के लिए भी शिवसेना प्रमुख के रूप में बने रहने के लिए तैयार नहीं हूं।
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