बांग्लादेश के कॉलेज, यूनिवर्सिटी के छात्रों ने पिछले कुछ दिनों से आरक्षण के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरु किया था। उनका कहना है की बांग्लादेश में तरीके से दिए जाने वाले आरक्षण के परिणाम से मेरीट को केवल 44 प्रतिशत स्कोप मिल रहा है। शुरुवात में इन आंदोलनों की और देश-दुनिया ने इसके मर्यादित स्तर के चलते इसे नज़रअंदाज किया था। आंदोलन ने हिंसक स्वरुप ले लिया है।
कहां हुई हिंसा और आगजनी?: बांग्लादेश के डेंस इलाके ढाका, चटगांव, और उत्तर पश्चिम रंगपुर इन जगहों पर आंदोलनों की वजह से पुलिस ने आंदोलकों को कंट्रोल करने की कोशिश की। जिसे वजह से जगह जगह पुलिस और आंदोलकों के बीच झड़प हो रही है। जानकारी के अनुसार इस झड़प में अबतक 6 लोगों की मौत हो चुकी है तो १०० लोग घायल हो चुके है। इसके बाद से बांग्लादेश के शहरों में हिंसाचार हो रहा है। कल से मोलटोव फेंक कर बसें जलने की खबरें बांग्लादेश से आ रही है।
बांग्लादेश के आरक्षण का मुद्दा: बांग्लादेश में फ़िलहाल 4 विभागों में आरक्षण दिया जा रहा है। इसमें महिलाओं के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण, 10 प्रतिशत पिछड़े जिलों से आनेवालों के लिए, 6 प्रतिशत संरक्षित समुदायों के लिए (इसमें हिन्दुओं के लिए आरक्षण का कोई विशेष प्रावधान नहीं है) और 30 प्रतिशत आरक्षण 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले लोगों के परिवारों के लिए है। इससे मेरिट के लिए मात्र 44 प्रतिशत बचते है। ऐसे में छात्रों की मांग है की इस आरक्षण को बंद किया जाए।
लगातार बढ़ती हिंसा की घटनाओं को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने सुरक्षा के लिए स्कुल, कॉलेज, शिक्षा संस्थायें, मदरसे और पॉलिटेक्निक संस्थाएं बंद रखने का निर्णय लिया है। इन आंदोलनों का केंद्र मुख्य रूप से यूनिवर्सिटी होने के कारण यूनिर्सिटी के परिसरों में भरी संख्या में पुलिस सुरक्षा के बल तैनात किए गये है। कुछ शहरों में सैनिक भी तैनात किए गए है।
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