पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद उपजे सांप्रदायिक तनाव ने अब मानवीय संकट का रूप ले लिया है। रविवार को भाजपा नेता और राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट साझा कर दावा किया कि मुर्शिदाबाद के धुलियान इलाके से 400 से अधिक हिंदुओं को जान बचाकर पलायन करना पड़ा है।
अधिकारी ने अपने पोस्ट में कहा, “धार्मिक कट्टरपंथियों के डर से मुर्शिदाबाद के धुलियान में 400 से अधिक हिंदू नदी पार करके मालदा के बैष्णबनगर के देवनापुर-सोवापुर जीपी के पार लालपुर हाई स्कूल में शरण लेने के लिए मजबूर हुए।” उन्होंने इस कथित पलायन से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो भी साझा किए, जिनमें कुछ लोग नाव से नदी पार करते और स्कूल में ठिकाना लेते दिखाई दे रहे हैं।
सुवेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि राज्य में “धार्मिक उत्पीड़न वास्तविक है”, और इसके लिए उन्होंने ममता बनर्जी सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने लिखा, “टीएमसी की तुष्टिकरण नीतियों ने कट्टरपंथी तत्वों को प्रोत्साहित किया है। हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, हमारे लोग अपनी ही जमीन पर अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे हैं। कानून-व्यवस्था की इस विफलता के लिए राज्य सरकार को शर्म आनी चाहिए।”
उन्होंने राज्य प्रशासन, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और पुलिस से विस्थापित लोगों की सुरक्षा और सुरक्षित वापसी की मांग करते हुए कहा, “बंगाल जल रहा है। सामाजिक ताना-बाना टूट चुका है। अब बहुत हो चुका।”
इस मुद्दे पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी गंभीर रुख अपनाया है। शनिवार को न्यायमूर्ति हरिश टंडन और न्यायमूर्ति हितेन बर्मन की विशेष खंडपीठ ने मुर्शिदाबाद में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती का आदेश दिया। अदालत ने स्पष्ट कहा कि राज्य सरकार द्वारा वक्फ संशोधन के खिलाफ हुए प्रदर्शनों से उपजे सांप्रदायिक तनाव को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदम “पर्याप्त नहीं” थे।
खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा, “केंद्रीय सशस्त्र बलों की पहले तैनाती से स्थिति को कम किया जा सकता था, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि समय पर पर्याप्त उपाय नहीं किए गए।” अदालत ने यह भी कहा कि जब लोगों की सुरक्षा खतरे में हो, तो “संवैधानिक न्यायालय मूक दर्शक नहीं रह सकता और तकनीकी बचाव में उलझ नहीं सकता।”
More than 400 Hindus from Dhulian, Murshidabad driven by fear of religiously driven bigots were forced to flee across the river & take shelter at Par Lalpur High School, Deonapur-Sovapur GP, Baisnabnagar, Malda.
Religious persecution in Bengal is real.
Appeasement politics of… pic.twitter.com/gZFuanOT4N
— Suvendu Adhikari (@SuvenduWB) April 13, 2025
यह आदेश सुवेंदु अधिकारी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद जारी हुआ। उन्होंने अदालत को बताया था कि उन्होंने राज्य सरकार से केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की थी, लेकिन जब सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया, तो उन्होंने न्यायालय का रुख किया।
मुर्शिदाबाद में बनी स्थिति न केवल राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है, बल्कि यह भी दर्शा रही है कि वक्फ अधिनियम के विरोध के नाम पर उभर रही सांप्रदायिकता अब आम नागरिकों के जीवन पर गहरा असर डाल रही है। राज्य सरकार की ओर से इस पूरे मामले पर अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अदालत के आदेश के बाद प्रशासनिक स्तर पर हलचल तेज हो गई है।
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