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बिहार SIR 2025: 17,665 मतदाताओं ने दर्ज की आपत्ति मगर विपक्ष अब भी मौन !

यह आंकड़े बताते हैं कि चुनाव आयोग पर आरोप लगाने वाले विपक्षी राजनीतिक दल मतदाता सूचि के शुद्धिकरण को लेकर तनिक भी गंभीर नहीं है।

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चुनाव आयोग और भारतीय जनता पर पर मतदाता सूचि के जरिए धांधली करने और वोट चोरी करने के आरोप कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी लगातार कर रहें है। साथ ही बिहार में चलाए गए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR का विरोध भी विपक्षी सांसद दिल्ली की सड़क पर उतर कर दिखा चुकें है। बावजूद इसके 1 अगस्त से बिहार में जारी SIR 2025 के बीच किसी भी विपक्षी दल ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं की है। चुनाव आयोग ने अपडेट जारी किया है , जिस 13 अगस्त सुबह 10 बजे तक प्राप्त दावों, आपत्तियों और नए मतदाताओं के पंजीकरण का ब्यौरे में कोई विपक्षी दाल अप्पत्ति दर्ज करते हुए नहीं दिख रहा है, जबकि सामान्य मतदाताओं की ओर से 17,665 आप्पतियां दर्ज हुई है।

मसौदा मतदाता सूची को लेकर राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के कुल  1,60,813  बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) मौजूद है। इनमें सबसे अधिक भाजपा के 53,338) और राजद के 47,506 बीएलए है, जबकि कांग्रेस जैसे राष्ट्रिय दाल के 17,549, बहुजन समाज पार्टी के 74, आम आदमी पार्टी का 1, सीपीएम के 899 और नेशनल पीपल्स पार्टी के 7 बीएलए मौजूद है।

हालांकि, 1 अगस्त से 13 तक किसी भी पार्टी के और से मतदाता सूचि में योग्य मतदाता को जोड़ने और अयोग्य को हटाने के लिए भी आपत्ति या दावे को नहीं पाया गया । मसौदा सूची में योग्य मतदाताओं को जोड़ने और अयोग्य को हटाने के लिए आम मतदाताओं से 17,665 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 454 का निपटारा किया गया है।  18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के नए मतदाताओं के पंजीकरण के लिए 74,525 फॉर्म (फॉर्म 6 + घोषणा पत्र) प्राप्त हुए हैं, जिसमें बीएलए (BLA) द्वारा दिए गए 6 फॉर्म भी शामिल हैं। इनमें से किसी का भी अभी निपटारा नहीं हुआ है।

नियमों के अनुसार, सभी दावे-आपत्तियों का निपटारा संबंधित ERO/AERO द्वारा पात्रता दस्तावेजों के सत्यापन के 7 दिन बाद किया जाएगा। SIR आदेशों के तहत, 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित मसौदा सूची से किसी भी नाम को बिना स्पीकिंग ऑर्डर, जांच और संबंधित व्यक्ति को उचित अवसर दिए बिना हटाया नहीं जा सकता। यह आंकड़े बताते हैं कि चुनाव आयोग पर आरोप लगाने वाले विपक्षी राजनीतिक दल मतदाता सूचि के शुद्धिकरण को लेकर तनिक भी गंभीर नहीं है। जबकि आम मतदाताओं की ओर से दावों-आपत्तियों की संख्या बड़ी है, लेकिन निपटारे की प्रक्रिया अभी लंबित है ऐसे में बड़ी बीएलए संख्या वाली भाजपा और राजद जैसी पार्टियों को ही मतदाताओं की मदद के पहले उतरना होगा।

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