मुंबई। भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर ने शिवसेना के मुखपत्र ‘ सामना ‘ में प्रकाशित अग्रलेख के मद्देनजर शिवसेना सांसद एवं ‘ सामना ‘ के कार्यकारी संपादक संजय राउत कोआड़े हाथों लिया है। पडलकर ने राउत पर सवाल दागा है कि अपने अपमान से व्याकुल होकर संजय राउत वे अब छिदे गुब्बारे से इतने डरे हुए क्यों हैं ? इस दौरान उन्होंने पुलिस को मां और बहन गालियां बकने के आरोप के बावजूद वरुण देसाई के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किए जाने का सवाल भी उठाया है।
तो फिर खुद पर से भी उठ जाएगा विश्वास
पडलकर ने कहा है, ‘ ऐसा तो नहीं कि राणे साहब का गुब्बारा आप लोगों के कारनामों के राज से भरा हैऔर यदि यह फट जाता है, तो फिर नतीजा इतना जबरदस्त होगा कि आप तीनों का खुद पर से तक विश्वास उठ जाएगा। राणे साहब के खिलाफ प्रतिशोधी कार्रवाई को अगर कानूनी कार्रवाई बताया जा रहा है, तो पुलिस वरुण देसाई के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है जो बहुत घिनौने शब्दों में उसे मां-बहन की गालियां बक रहा था। क्या यही आपका महाराष्ट्र मॉडल है?’
क्या यह बालासाहेब की पीठ में छुरा घोंपना नहीं?
गोपीचंद पडलकर ने आरोप लगाया, ‘ हिंदू समाज को सड़ा हुआ कहने वाला शार्जिल उस्मानी उजला माथा लिए महाराष्ट्र आकर चला जाता है, पर उसके खिलाफ कार्रवाई करने में उनके हाथ कांपते हैं। बालासाहेब ने जीवन भर जिस कांग्रेस की विचारधारा का विरोध किया और हमेशा व्यंग्यात्मक शब्दों के साथ शरद पवार के आकाओं को बेनकाब किया, उन्हीं का दरबारी बनना क्या बालासाहेब के हिंदुत्व की पीठ में छुरा घोंपने का जैसा नहीं है ?’
कमर का ढीला कर सिर पर न बांधें राउत
पडलकर ने स्पष्ट फटकार लगाई है,’ मैं बालासाहेब के ‘ सामना ‘ को दैनिक ‘बाबरनामा’ में बदलने वाले व्यक्ति से पूछता हूँ कि उस समय उसकी अस्मिता किसके में घुंघरू बनकर लटकने लगती है थी। आदरणीय संजय राउत, कमर का ढीला कर सिर पर बांध अग्रलेख लिखने की विकृति से बाज आइए, वरना आपके ‘ हम कहें वह कानून ‘ के गुब्बारे में देश भर के कोने-कोने से इतने छेद पड़ेंगे, कि गिनना नामुमकिन होगा।’