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Friday, September 20, 2024
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कांग्रेस-एनसीपी को छोड़ BMC की तैयारी में जुटी शिवसेना! कांग्रेस नेता ने उठाया था सवाल 

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मुंबई। शिवसेना ने अगले साल होने वाले मुंबई महानगर पालिका की तैयारी शुरू कर दी है। इस लिहाज से देखा जाये तो महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है,लेकिन जानकारों के अनुसार शिवसेना करीब ढाई दशक से जिस तरह से बीएमसी पर कब्जा की हुई है, उसी तरह निकट भविष्य में भी कोई समझौता नहीं करने वाली है।
फिलहाल शिवसेना,कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सत्ता में है। पिछली बार शिवसेना और भाजपा के सीटों का अंतर ज्यादा नहीं था, इस तरह से देखा जाय तो इस बार भी शिवसेना का मुकाबला बीजेपी से ही होने वाला है। लेकिन इस बार ऐसा होगा या नहीं यह कह पाना मुश्किल लग रहा है। जिस तरह से शिवसेना बीएमसी चुनाव की तैयारी कर रही है और बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल फ्री हैण्ड होकर एक के बाद एक निर्णय ले रहे हैं, इससे साफ है कि उद्धव ठाकरे ने इकबाल सिंह चहल को खुली छूट दे रखी है।
ऐसा लग रहा कि शिवसेना एकला चलो वाले सूत्र पर काम कर रही है।पिछले दिनों एक कांग्रेसी नेता ने भी इस संबंध में आवाज उठाई थी, लेकिन कोरोना महामारी में उनकी आवाज दब गई या दबा दी गई यह साफ नहीं हो सका।  हुआ यह था कि वैक्सीनेशन सेंटरों पर शिवसेना से ही जुड़ा पोस्टर चारो तरफ दिख रहे थे,सत्ता में जबकि कांग्रेस और एनसीपी साथ है। लेकिन टीकाकरण सेंटरों पर उनसे जुड़े किसी भी नेता के पोस्टर या अन्य कुछ दिखाई नहीं देने पर कांग्रेस नेता ने सवाल उठाया था।
कांग्रेस नेता जीशान सिद्धकी ने ट्वीट में लिखा “सब जगह लॉकडाउन है. लोगों को खाना नहीं मिल रहा है।  ऐसे में क्या शिवसेना के लिए कोई नियम नहीं हैं? शिवसेना दिखाती है जैसे कि यह एक त्योहार है। बड़े बैनर लगाए जा रहे हैं। मानो मेला भरा हुआ है। शिवसेना ऐसे बरताव कर रही है जैसे कि वैक्सीन उन्होंने ही बनाया है। यह महाविकास आघाडी सरकार का काम है।”
बीएमसी पहला और एकमात्र नगर निगम है, जिसने स्वतंत्र रूप से वैक्सीन खरीदने का टेंडर निकाला है। बीएमसी ने मुंबई के लोगों को टीका लगवाने के लिए एक करोड़ वैक्सीन डोज खरीदने का फैसला किया है और इसके लिए सात सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। जानकारों के अनुसार, शिवसेना का कांग्रेस और एनसीपी के साथ बीएमसी चुनाव मिलकर लड़ने का चांस फिफ्टी -फिफ्टी है। भले ही सत्ता में तीनों पार्टियां साथ हों,लेकिन बीएमसी में ऐसा होना मुश्किल है।

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