जाते-जाते जिस तरह ठाकरे सरकार ने जल्दबाजी में कुछ ही दिनों के भीतर 400 से अधिक शासनादेश (जीआर) जारी करने का दो रिकार्ड बनाया अब उस पर बांबे हाईकोर्ट ने भी टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने अग्नि सुरक्षा से जुड़े नियमों को लागू न करने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जिस सरकार को 400 जीआर जारी करने से समय था उन्हें अग्नि सुरक्षा से जुड़े नियमों का लागू करने का वक्त ही नहीं मिला जबकि यह लोगों के जीवन से जुड़ा मामला है।
हाईकोर्ट में वकील आभा सिंह द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वकील हितेन वेणेगांवकर ने कहा कि राज्य सरकार अग्नि सुरक्षा से नियमों को नए विकास नियंत्रण एवं नियोजन नियमन (डीसीपीआर) में शामिल कर रही है। लेकिन इस मुद्दे को देखने के लिए विशेषज्ञों की कमेटी बनानी पड़ेगी और इस कमेटी के गठन में तीन से चार महीने का समय लगेगा।
किंतु मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने कहा सिर्फ कमेटी गठित करने के लिए तीन माह से अधिक का समय काफी लंबा वक्त है। हमने अखबारों में पढा है कि हाल ही में सरकार की ओर से 400 शासनादेश जारी किए गए हैं। लेकिन एक साधरण कमेटी नहीं गठित की जा सकी है। जबकि यह मामला लोगों के जीवन से जुड़ा है। इस दिशा में कदम न उठाने से अनगिनत लोगों का जीवन दांव पर लग सकता है। खंडपीठ ने सरकारी वकील को अगली सुनवाई के दौरान मामले में हुई प्रगति को लेकर सारे रिकार्ड कोर्ट में पेश करने को कहा है।
याचिका में मांग की गई है कि शिक्षा, मॉल व व्यावसायिक तथा अन्य इमारतों को आग से बचाने के लिए तैयार किए गए नियमों को कड़ाई से लागू करने के लिए कहा जाए। याचिका में दावा किया गया है कि इमारतों को मानव निर्मित आपदा से बचाने के लिए नियमों का लागू किया जाना जरुरी है। याचिका के अनुसार सरकार ने नियमों का मसौदा तो 2009 तैयार कर लिया गया है लेकिन इसे अंतिम रुप नहीं दिया जा रहा है।
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