कैग रिपोर्ट: ​​दिल्ली सीएम​ ने ‘आप’ पर साधा निशाना, कहा जनता के एक-एक पाई का देना होगा हिसाब!

​कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि आम आदमी पार्टी की सरकार की गलत शराब नीति के कारण दिल्ली को 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा​|​

कैग रिपोर्ट: ​​दिल्ली सीएम​ ने ‘आप’ पर साधा निशाना, कहा जनता के एक-एक पाई का देना होगा हिसाब!

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दिल्ली विधानसभा में कैग रिपोर्ट पेश होने पर विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने कैग रिपोर्ट को लेकर बेहद गंभीर टिप्पणियां की थी। कैग रिपोर्ट को पेश करने में लापरवाही बरती गई। कैग को जानबूझ कर रोके रखा। एलजी के पास समय रहते रिपोर्ट को नहीं भेजा गया था। आज एक रिपोर्ट पेश की गई है। मैं चाहता हूं कि हर विभाग की रिपोर्ट पर अलग-अलग चर्चा हो। आने वाले सत्र में दूसरी रिपोर्ट रखी जाएंगी।

​दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने साफ-साफ कहा है कि पिछली सरकारों (आम आदमी पार्टी और कांग्रेस) ने जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग किया है​|​ जनता के खून-पसीने की कमाई जिन सरकारों ने लूटा है, उन्हें एक-एक पाई का हिसाब देना होगा​|​ कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि आम आदमी पार्टी की सरकार की गलत शराब नीति के कारण दिल्ली को 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा​|बता दें कि आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान 2016 से दिल्ली विधानसभा में कैग की एक भी रिपोर्ट नहीं पेश हुई थी​|​ ​

1- शराब नीति में खामियों के कारण सरकार को ₹2,026 करोड़ का नुकसान हुआ|
2- शराब नीति बनाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह ली गई थी, लेकिन उनकी सिफारिशों को माना नहीं गया|
3- जिन कंपनियों की शिकायतें थीं या जो घाटे में चल रही थीं, उन्हें भी लाइसेंस दिए गए|
4- कैबिनेट और उपराज्यपाल यानी एलजी से कई बड़े फैसलों पर मंजूरी नहीं ली गई|
5- शराब नीति के नियमों को विधानसभा में पेश भी नहीं किया गया|
6- कोविड-19 के नाम पर ₹144 करोड़ की लाइसेंस फीस माफ कर दी गई, जबकि ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं थी|
7-सरकार ने जो लाइसेंस वापस लिए, उन्हें फिर से टेंडर प्रक्रिया के जरिए आवंटित नहीं किया, जिससे ₹890 करोड़ का नुकसान हुआ|
8- जोनल लाइसेंस धारकों को छूट देने से ₹941 करोड़ का और नुकसान हुआ|
9- सिक्योरिटी डिपॉजिट राशि ठीक से ना वसूलने के कारण ₹27 करोड़ का नुकसान हुआ|
10- शराब की दुकानें हर जगह समान रूप से नहीं बांटी गईं|
इसके साथ स्वास्थ्य को लेकर भी कैग रिपोर्ट ​प्रस्तुत नहीं की गयी थी, जिसमें ​बताया गया कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) 2016-23 के दौरान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (मोहल्ला क्लीनिक) के निर्माण के लिए आवंटित 35.16 करोड़ रुपये के बजट में से सिर्फ 9.78 करोड़ (28 प्रतिशत) ही खर्च कर सका​|​

31 मार्च 2017 तक 1000 आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक स्थापित करने के लक्ष्य के मुकाबले, विभाग केवल 523 मोहल्ला क्लीनिक (31 मार्च, 2023) ही स्थापित कर सका, जिसमें 31 इवनिंग शिफ्ट वाली मोहल्ला क्लीनिक शामिल थीं. कैग की ऑडिट में पाया गया कि दिल्ली के चार जिलों में 218 में से 41 मोहल्ला क्लीनिक डॉक्टरों की कमी और स्टाफ के छुट्टी पर होने के कारण महीने में 15 दिन से लेकर 23 दिन तक की अवधि के लिए बंद रहे​|​

मोहल्ला क्लीनिक में बुनियादी चिकित्सा उपकरणों जैसे पल्स ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर, एक्स-रे व्यूअर, थर्मामीटर, बीपी मॉनिटरिंग मशीन आदि की कमी पाई गई​|​ रिव्यू के दौरान 74 मोहल्ला क्लीनिक ऐसे मिले, जिनमें आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल 165 मेडिसिन की शत-प्रतिशत उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की गई थी​|​

वहीं अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 की अवधि के दौरान मोहल्ला क्लीनिक में आने वाले 70 प्रतिशत मरीजों को एक मिनट से भी कम समय का मेडिकल कंसल्टेशन मिला​|​ ऑडिट में कहा गया है कि मोहल्ला क्लीनिक के निरीक्षण में भी पारदर्शिता नहीं बरती गई​|​ मार्च 2018 से मार्च 2023 के दौरान चार चयनित जिलों में केवल 2 प्रतिशत मोहल्ला क्लीनिक का निरीक्षण किया गया​|​ सभी मोहल्ला क्लीनिक में डॉक्टरों, पब्लिक हेल्थ नर्सिंग ऑफिसर, मिड-वाइफ (एएनएम) और फार्मासिस्ट जैसे स्टाफ की कमी थी​|​

​इसके साथ की कैग रिपोर्ट में दिल्ली में 6 फ्लैग स्टाफ रोड स्थित सीएम आवास के रिनोवेशन के लिए जब टेंडर आवंटित हुआ तो अनुमानित लागत 7.91 करोड़ से बढ़कर 8.62 करोड़ रुपये हो गई, जो 13.21 प्रतिशत अधिक था​|​ जब काम पूरा हुआ, तो इस पर कुल 33.66 करोड़ रुपये खर्च हुए, जो ​​​​अनुमानित​ लागत से 342.31 प्रतिशत अधिक था​|​

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