मुंबई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मराठा आरक्षण को रद्द किए जाने के फैसले से महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है। विधायक विनायक मेटे ने जहां मराठा आरक्षण के लिए गठित मंत्रिमंडल की उपसमिति अध्यक्ष अशोक चव्हाण के इस्तीफे की मांग की है. वहीं, सांसद शिवाजीराजे छत्रपति ने मराठा समाज से संयम बनाये रखने की अपील की है। इस बीच प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने मराठा आरक्षण रद्द होने के लिए राज्य की ठाकरे सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सरकारी आवास वर्षा पर बैठक शुरू है।
बुधवार को मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आ गया। सर्वोच्च अदालत द्वारा मराठा आरक्षण रद्द किए जाने के फैसले को लेकर मराठा समाज में तीव्र नाराजगी है। इससे राज्य की महाआघाडी सरकार डरी हुई है। संभाजी राजे ने फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए समाज से संयम बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पहले की सरकार और मौजूदा सरकार दोनों ने मराठा आरक्षण के लिए पूरी कोशिश की, पर दुर्भाग्य से सुप्रीम कोर्ट का फैसला इसके खिलाफ आया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल कोरोना के संकट का सामना करना है। इसलिए अदालत के फैसले का सम्मान करते हुए किसी तरह की अशांति न करें।
आरक्षण रद्द होने के लिए ठाकरे सरकार जिम्मेदार: चंद्रकांत पाटिल
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने मराठा आरक्षण रद्द होने के लिए राज्य की महाआघाडी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस सरकार के प्रयासों से आरक्षण मिला था। हाइकोर्ट में भी हमने यह लड़ाई जीती पर इस सरकार की लापरवाही से सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला आया है।