‘छगन भुजबल ने मेरी टांग तोड़ने की बात कही, ओबीसी के पुराने नेता…’, मनोज जरांगे का बयान!

आज मनोज जारांगे पाटिल ने कहा है कि हमारा विरोध शांतिपूर्ण होगा| कुछ ओबीसी नेताओं को लगता है कि गरीबों को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए| मनोज जरांगे पाटिल ने यह भी आरोप लगाया कि पुराने ओबीसी नेता ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं| हम ओबीसी के पुराने नेता का सपना पूरा नहीं होने देंगे|

‘छगन भुजबल ने मेरी टांग तोड़ने की बात कही, ओबीसी के पुराने नेता…’, मनोज जरांगे का बयान!

'Chhagan Bhujbal talked about breaking my leg, such an old leader...', Manoj Jarange Patil's statement!

​छगन भुजबल ने मेरी टांग तोड़ने की बात कही|महाराष्ट्र में पुराने नेता बढ़ा रहे हैं जातीय तनाव! आज मनोज जारांगे पाटिल ने कहा है कि हमारा विरोध शांतिपूर्ण होगा| कुछ ओबीसी नेताओं को लगता है कि गरीबों को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए| मनोज जरांगे पाटिल ने यह भी आरोप लगाया कि पुराने ओबीसी नेता ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं| हम ओबीसी के पुराने नेता का सपना पूरा नहीं होने देंगे|
जरांगे पाटिल ने क्या कहा?: छगन भुजबल पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं|इनकी भाषा भी बहुत भयानक है|उन्होंने सीधे भीमा कोरेगावा का विषय उठाया। उन्होंने जाति शब्द का भी जिक्र किया|क्या ये सब सरकार को स्वीकार्य है? उन्होंने कहा कि भीमा कोरेगाव के साथ क्या हुआ|
इसलिए उन भाइयों को उनके खिलाफ मामला दर्ज कराना चाहिए|‘ ये सब अब छगन भुजबल बता रहे हैं|इनके इतिहास पर नजर डालें तो जब दलित भाइयों ने मार्च निकाला तो मार्च के बाद शहीद स्मारक को गोमूत्र छिड़क कर धो दिया|वे अब ये सब बातें क्यों कह रहे हैं?” ऐसा ही एक सवाल मनोज जरांगे पाटिल ने भी पूछा है|
छगन भुजबल दिग्गज नेता: सरकार को दिग्गज नेता को रोकना चाहिए|हमने शांति की अपील की है​, जब ओबीसी भाई और हम साथ होते हैं तो वह छगन भुजबल से कहते हैं कि इसकी (मनोज जारांगे पाटिल) टांग तोड़ दो, अगर ओबीसी के खिलाफ बोले तो टांग तोड़ देना। मैंने ओबीसी भाइयों के खिलाफ नहीं बोला है|मैं पुराने नेता के खिलाफ बोल रहा हूं|उनकी सोच अच्छी नहीं है|क्या सरकार सो रही है? मनोज जरांगे पाटिल ने यह भी कहा है कि सरकार ने उन्हें रोका नहीं है, वे पहली बैठक में हिसाब-किताब कर लेंगे|
​दंगों के दौरान भुजबल यही बात कर रहे हैं: छगन भुजबल बूढ़े हैं|इस उम्र में उनके मुंह में शांति के शब्द तो हवा में हैं, लेकिन बोले हैं दंगे भड़काने के लिए| अब सभी महापुरुष याद आते हैं, जातिवादी बातें करते हैं। आप सब कुछ पाने के लिए 24 दिसंबर तक प्रतीक्षा करें। हमारे लड़कों ने बहुत शिक्षा प्राप्त की है, लेकिन जब पढ़ा-लिखा बेरोजगार हो जाता है तो वह किसी और का झंडा उठा लेता है और अयोग्य लोगों के साथ काम करना पड़ता है, मैंने क्या गलत कहा? मैंने कोई नस्लवादी बात नहीं कही| छगन भुजबल ने उसका यही मतलब निकाला| ये बात मनोज जरांगे पाटिल ने भी कही है|
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