मराठा आरक्षण को लेकर ‘टू’ जीआर मनोज ​जरांगे को सौंपा गया, संदीपन भुमरे ने कहा..​!

जस्टिस शिंदे की अध्यक्षता वाली कमेटी का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए​|​ऐसी मांग मनोज जरांगे ने की थी​|​यह मांग अब पूरी हो गई है​|​इस संबंध में जीआर सौंपने के लिए छत्रपति संभाजी​ नगर के संरक्षक मंत्री संदीपन भुमरे और जालन्या के संरक्षक मंत्री अतुल सावे ने अस्पताल में मनोज जरांगे से मुलाकात की है।

मराठा आरक्षण को लेकर ‘टू’ जीआर मनोज ​जरांगे को सौंपा गया, संदीपन भुमरे ने कहा..​!

मराठा आरक्षण को लेकर 'टू' जीआर मनोज जरांगे को सौंपा गया, संदीपन भुमरे ने कहा..!

मनोज जरांगे पाटिल के भूख हड़ताल समाप्त करने के बाद राज्य सरकार ने उनकी पहली मांग पूरी कर दी है|सरकार ने शुक्रवार रात जीआर को मंजूरी दे दी है|जस्टिस शिंदे की अध्यक्षता वाली कमेटी का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए|ऐसी मांग मनोज जरांगे ने की थी|यह मांग अब पूरी हो गई है|इस संबंध में जीआर सौंपने के लिए छत्रपति संभाजीनगर के संरक्षक मंत्री संदीपन भुमरे और जालन्या के संरक्षक मंत्री अतुल सावे ने अस्पताल में मनोज जरांगे से मुलाकात की है।

इस दौरान संदीपन भुमरे ने मनोज जरांगेके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली|उन्होंने न्यायमूर्ति शिंदे की अध्यक्षता वाली समिति का दायरा बढ़ाने के संबंध में जीआर भी पढ़ा। उन्होंने यह भी भरोसा जताया कि मराठा आरक्षण पर फैसला जल्द से जल्द लिया जाएगा|वह मीडिया से बातचीत कर रहे थे|

इस मौके पर संदीपन भुमरे ने कहा, ”यह जीआर मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र दिलाने के लिए है|मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति शिंदे की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की गई है। यह जीआर पूरे महाराष्ट्र के लिए लागू है। पहले जीआर केवल मराठवाड़ा के लिए था। अब यह जीआर पूरे महाराष्ट्र के लिए जारी किया गया है|अब मुझे लगता है कि ये कमेटी जल्द से जल्द काम करेगी और मराठा भाइयों को कैसे न्याय दिया जाए इस पर काम करेगी|

वास्तव में अंतिम तिथि क्या है?24 दिसंबर या 2 जनवरी? यह सवाल पूछे जाने पर संदीपन भुमरे ने आगे कहा,”यह मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण नहीं है|24 दिसंबर और 2 जनवरी दोनों तारीखों में ज्यादा अंतर नहीं है|अंतर सिर्फ 5-6 दिन का है. इसके अंदर भी मराठों को आरक्षण मिल सकता है|

कमेटी का काम 24 दिसंबर या 2 जनवरी तक पूरा हो सकता है|इसलिए मराठा आरक्षण मिलने में कम से कम 8-10 दिन लग सकते हैं। हमें यह देखना चाहिए कि केवल मराठा समुदाय के सदस्यों को कैसे न्याय दिया जा सकता है। हमें तारीख के बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए।

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