छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल के रायपुर और भिलाई स्थित ठिकानों पर बुधवार सुबह केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने छापेमारी की। यह कार्रवाई बघेल के करीबी माने जाने वाले कुछ अधिकारियों और नेताओं के घरों पर भी की गई। कांग्रेस ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दिया है, जबकि सरकार का कहना है कि यह छापे भ्रष्टाचार की गहराई से जांच के लिए किए जा रहे हैं।
CBI की टीम बुधवार सुबह दो गाड़ियों में सवार होकर भूपेश बघेल के आवास पर पहुंची। इसी के साथ उनके करीबी सहयोगी और पूर्व सलाहकार विनोद वर्मा, भिलाई विधायक देवेंद्र यादव, और आईपीएस अधिकारी आरिफ शेख व अभिषेक पल्लव के घरों पर भी छापे मारे गए।
भूपेश बघेल ने इस छापे की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए लिखा, “अब CBI आ गई है। 8 और 9 अप्रैल को अहमदाबाद में होने वाली AICC बैठक के लिए दिल्ली जाने का मेरा कार्यक्रम था, लेकिन उससे पहले ही CBI रायपुर और भिलाई स्थित मेरे निवास पर पहुंच गई।”
इससे पहले भी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बघेल के सहयोगियों और अन्य कांग्रेस नेताओं से जुड़े 14 ठिकानों पर छापे मारे थे। बघेल ने आरोप लगाया था कि “झारखंड चुनाव खत्म होते ही हमारे ऊपर पहली बार 2020 में छापा पड़ा। अब जब-जब हम दूसरे राज्यों के चुनाव प्रचार में गए, तब-तब छापे मारे गए। यह सरकार हमें डराना चाहती है और हमें सवाल उठाने से रोकना चाहती है।” कांग्रेस पार्टी ने इस छापेमारी को बदले की कारवाई बताया है। पार्टी के नेताओं ने कहा कि “ED और CBI जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल केवल विपक्षी नेताओं को दबाने के लिए किया जा रहा है।”
वहीं, सरकार समर्थकों का कहना है कि यह छापेमारी भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम है और यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उसे कानून का सामना करना होगा। “अगर कोई बेगुनाह है तो उसे डरने की जरूरत नहीं। जांच एजेंसियां अपने काम कर रही हैं,” यह तर्क दिया जा रहा है।
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इस कार्रवाई को भूपेश बघेल के खिलाफ चल रही महादेव ऑनलाइन बेटिंग ऐप स्कैम से भी जोड़कर देखा जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पहले ही आरोप लगाया था कि महादेव ऐप के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई हुई, जिसका इस्तेमाल चुनावी फंडिंग में किया गया।
भाजपा का दावा है कि बघेल सरकार के कार्यकाल में सट्टेबाजी को खुला संरक्षण मिला, और इस घोटाले के पीछे बड़े राजनीतिक हाथ हैं। ईडी की जांच में हवाला के जरिए पैसे भेजने और सट्टेबाजी रैकेट के राजनीतिक कनेक्शन सामने आए थे। अब सीबीआई की रेड ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है, जिससे छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। अब देखना दिलचस्प होगा कि CBI की जांच में क्या सामने आता है और यह राजनीतिक घटनाक्रम आने वाले चुनावों को किस तरह प्रभावित करता है।