प्रयागराज के बहुचर्चित राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके सुरक्षाकर्मी संदीप निषाद की बीते शुक्रवार शाम गोली मारकर हत्या कर दी गई। धूमनगंज थाना क्षेत्र में उमेश पाल के घर के बाहर अज्ञात हमलावरों ने बम और गोली से उन पर हमला किया। इस हमले में उमेश पाल के अलावा उनके दो सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए। गौरतलब है कि प्रयागराज मामले में फूलपुर सीट से सपा के पूर्व सांसद माफिया अतीक अहमद का हाथ होना बताया जा रहा है। अतीक अहमद इस वक्त गुजरात की एक जेल में बंद हैं।
पुलिस ने अतीक अहमद के साथ ही अतीक के भाई, पत्नी शाइस्ता परवीन, अतीक अहमद के दो बेटों और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। प्रयागराज पुलिस ने अतीक अहमद के दोनों बेटों के साथ करीब 14 संदिग्ध हिरासत में लिए हैं। साथ ही कौशांबी और प्रतापगढ़ में प्रॉपर्टी डीलिंग विवाद से जुड़े 4 अन्य युवकों को भी हिरासत में रखा गया है। इन सभी आरोपियों से कड़ी पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने उमेश पाल के कोर्ट से लेकर उसके घर तक के पूरे रास्ते के सीसीटीवी फुटेज खंगाले हैं। इसमें हमलावर उमेश पाल की कार का लगातार पीछा करते नजर आ रहे है। पीछा करने के लिए हमलावरों ने कार औऱ बाइक का इस्तेमाल किया था।
मुख्यमंत्री विधानसभा में राज्यसभा के अभिभाषण पर सदन को संबोधित करने वाले थे पर नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने प्रयागराज में राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह की गोली मारकर हत्या का मुद्दा उठाया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि, “उत्तर प्रदेश में इस तरह से गोली चलना, बम चलना और गैंगवार का दिखना। ये दर्शाता है कि प्रदेश की बीजेपी सरकार कानून-व्यवस्था के मसले पर पूरी तरह से विफल हुई है। अखिलेश यादव ने कहा कि ये रामराज्य है, जहां खुलेआम बंदुकें चल रही हैं? पुलिस पूरी तरह से विफल है और इसकी जिम्मेदार बीजेपी की सरकार है।”
इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में कहा कि हम माफियाओं के खिलाफ हैं, उन्हें मिट्टी में मिला देंगे। उन्होंने कहा कि सपा ने ही अतीक अहमद को आश्रय दिया है। हम किसी भी माफिया को नहीं छोड़ेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सपा माफियाओं की पोषक है। राजूपाल हत्याकांड में अतीक अहमद दोषी है उसे सपा ने विधायक बनाया। अखिलेश यादव की तरफ इशारा करते हुए योगी ने कहा कि आप खुद माफियाओं का पोषण कर रहे हैं। इस पर सदन में कुछ देर के लिए हंगामा हो गया। हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के दखल के बाद सदन की कार्यवाही फिर से चलने लगी।
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