नई दिल्ली | यह तो होना ही था. कांग्रेस में हर बार की तरह पश्चिम बंगाल, असम, केरल, और पुडुचेरी में कमजोर प्रदर्शन के बाद आपसी सिर फुटव्वल शुरू हो गया है। कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता संजय झा ने लीडरशिप पर निशाना साधते हुए कहा है कि बंगाल में कांग्रेस का सरेंडर करना बेहद निराशाजनक रहा है। यह अस्वीकार्य है। बंगाल में भी कांग्रेस यूपी और तमिलनाडु की राह पर चल पड़ी है। संजय झा यहीं रुके अपने कई ट्वीट कांग्रेस के परपीड़ा पर ख़ुशी जताने पर गहरा असंतोष जाहिर किया है। इनके आलावा मौजूदा प्रवक्ता रागिनी नायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के बेटे ने भी कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाया है। संजय झा ने ट्वीट किया, ‘मेरी कांग्रेस और उनके समर्थकों से अपील है कि बंगाल में बीजेपी के सत्ता में न आ पाने का जश्न मनाने में समय खराब न करें। सारांश यह है- बीजेपी ने असम जीता। पुडुचेरी में विजेता गठबंधन का हिस्सा बनी। बंगाल में मुख्य विपक्षी दल बनी। खुद पर फोकस करें। अपनी खामियों को दूर करें। यह संकट है।’
यही नहीं केरल में भी कांग्रेस की पराजय पर सवाल उठाते हुए संजय झा ने कहा कि बंगाल में 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी टीएमसी सत्ता में जोरदार वापसी की है। इसके अलावा बंगाल में बीजेपी ने अपनी ताकत को बढ़ा लिया है। विपक्ष में रहने के बाद भी कांग्रेस के पास बचाव के लिए कुछ नहीं है। इसके अलावा केरल में भी कांग्रेस मौके का फायदा नहीं उठा सकी है। कांग्रेस की मौजूदा प्रवक्ता रागिनी नायक ने भी कांग्रेस पर सवाल खड़ा किया है। रागिनी नायक अपने ट्वीट में लिखा है, ‘यदि हम (कांग्रेसी) मोदी की हार में ही अपनी खुशी ढूंढते रहेंगे, तो अपनी हार पर आत्ममंथन कैसे करेंगे।’ हालांकि उन्होंने दूसरे ट्वीट में राहुल गांधी की लीडरशिप पर विश्वास जताते हुए लिखा है, नाउम्मीद नहीं दिल, नाकाम ही तो है। लम्बी है ग़म की शाम, मगर शाम ही तो है।
इस शाम की सुबह होना तय है, बशर्ते हम ‘जीत’ को मछली की आंख मान कर संघर्षरत रहें। आखिरकार, देश में भाजपा के कुशासन का अंत करने का सामर्थ्य सिर्फ़ कांग्रेस में है और मोदी को हराने का दम राहुल गांधी में है।’वहीं ,पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के बेटे अखिल सिब्बल ने भी कांग्रेस नेतृत्व पर ट्वीट कर सवाल उठाया है। अखिल सिब्बल ने लिखा है, ‘बिना जवाबदेही के नेतृत्व करना, ऐसा ही है कि बिना जिम्मेदारी के विशेषाधिकारों का आनंद लिया जाए। मुझे आश्चर्य है कि आखिर कब तक बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस की ओर से दूसरों को शुक्रिया अदा किया जाता रहेगा। कांग्रेस में हर चुनाव के बाद हाई कमान पर सवाल खड़ा किया जाता है। और आत्ममंथन की बात कर मामला रफादफा कर दिया जाता है।