लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर पार्टी के “मनहूस” न साबित हो जाएं। जी हां. मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान को दुश्मन देश नहीं मानते हैं। उन्होंने भारत और पाकिस्तान से बातचीत की पैरवी की है। उनका मानना है कि जब तक अपने पड़ोसी देश भारत बातचीत नहीं करेगा तब तक भारत को दुनिया में उचित स्थान नहीं मिलने वाला है। मणिशंकर अय्यर का यह सुझाव कांग्रेस के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में भारी न पड़ जाए। 2014 में मणिशंकर अय्यर ने नरेंद्र मोदी पर विवादित टिप्पणी किया था। जिसके बाद बीजेपी उनके बयान को ही चुनावी कैम्पेन में भुनाया और बीजेपी को भारी बहुमत मिला था।
दरअसल,मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान के वाणिज्य शहर कराची में दिसंबर 1978 से जनवरी , 1982 तक भारत के महा वाणिज्य दूत रहे। अब मणिशंकर अय्यर ने अपनी आत्मकथा “मेमॉयर्स ऑफ़ ए मेवरिक” में अपने कार्यकाल का अनुभव साझा किया है। मणिशंकर अय्यर की यह पुस्तक सोमवार को बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध हुई है। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि मणिशंकर अय्यर एक बार फिर ना कांग्रेस के लिए “मनहूस” साबित है। क्योंकि अब कुछ माह बाद ही लोकसभा चुनाव हैं। कांग्रेस पीएम नरेंद्र मोदी को हैटिक बनाने से रोकने के लिए कई तरह की जातां कर रही है।
इस पुस्तक में मणिशंकर अय्यर ने कहा है कि भारत की “सबसे बड़ी पूंजी” वहां की जनता है, जो भारत को अपना दुश्मन देश नहीं मानती है। उन्होंने कहा है की पाकिस्तान की सेना और वहां की राजनीति व्यवस्था कैसी भी हो लेकिन पाकिस्तान के लोगों का दृष्टिकोण अलग और वे भारत को दुश्मन देश नहीं मानते।
मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी का भी अपनी पुस्तक में जिक्र किया है। उनका कहना है कि नरेंद्र मोदी से पहले की सरकारें पाकिस्तान के साथ बातचीत का रास्ता खुला रखीं थी, लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अब यह ठहर गया है। इस ठहराव का शिकार पाकिस्तान की सेना नहीं बल्कि वहां की जनता शिकार हो रही है। जिसके लोग भारत में रहते हैं और भारत का दौरा करना चाहते हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक में मनमोहन सिंह का भी जिक्र किया है। कश्मीर समझौते का के बारे में बात की है।
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