बार-बार अपमान बर्दाश्त कर रहे MVA सरकार के कांग्रेसी मंत्री? शिवसेना को परवाह नहीं

शिवसेना के युवराज का कांग्रेसी मंत्री के विभाग पर 'अतिक्रमण'

बार-बार अपमान बर्दाश्त कर रहे MVA सरकार के कांग्रेसी मंत्री? शिवसेना को परवाह नहीं

file foto

मुंबई। महाराष्ट्र की सरकार में ‘तीसरे दर्जे की नागरिक’ बनी कांग्रेस ने अपमान सहने की सारी सीमा कर चुकी है,पर सत्ता का मोह इस कदर भारी है कि पार्टी नेता हर रोज अपमान का घूंट पीने को मजबूर हैं। अनलॉक को कांग्रेस नेता व राज्य के आपदा प्रबंधन मंत्री विजय वड्डेटीवार के रुसवा होने के बाद पार्टी की दूसरी नेता व राज्य की महिला व बाल कल्याण मंत्री यशोमति ठाकुर के दुखी होने की बात सामने आई है। शिवसेना के युवराज और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने कांग्रेस की महिला एवं बाल विकास मंत्री यशोमती ठाकुर के विभाग पर अतिक्रमण कर लिया है। आदित्य ने विभागायुक्तो को पत्र भेजकर महिला एवं बाल विकास विभाग से संबंधित कुछ जानकारी मांगी। हालांकि, छह में से चार विभाग आयुक्तों ने आदित्य के आदेश पर ध्यान नहीं दिया। पर यशोमति ठाकुर अपने खाते में शिवसेना के युवराज की इस घुसपैठ से नाराज हैं।
गौरतलब है कि कांग्रेस के विजय वडेट्टीवार आपदा प्रबंधन, राहत एवं पुनर्वास विभाग के मंत्री हैं। इसी हैसियत से उन्होंने बुधवार को अनलॉक का ऐलान किया था। हालांकि, उनकी घोषणा के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि सरकार इस संबंध में नए नियम तैयार कर रही है। मुख्यमंत्री के पास किसी भी विभाग के मामलों में हस्तक्षेप करने की शक्ति है। लेकिन कांग्रेस को आपदा प्रबंधन विभाग में मुख्यमंत्री ठाकरे की सियासी घूसखोरी रास नहीं आई। अब जब आदित्य ने भी ठाकुर के खाते में घुसपैठ की तो कांग्रेसी मंत्री नाराज हो गए हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग ने उन अनाथ बच्चों के लिए 5 लाख रुपये और अन्य सहायता की घोषणा की है जिनके माता-पिता की मृत्यु कोरोना के कारण हुई है। हालांकि, आदित्य ने प्रत्येक विभागीय आयुक्त को पत्र भेजकर यह रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया है कि किस जिले में कितने बच्चे अनाथ हुए हैं। हालांकि, चूंकि यह विभाग ठाकुर के पास है, इसलिए संबंधित अधिकारियों ने आदित्य के आदेशों का पालन नहीं किया। सूत्रों के अनुसार उनके पत्रों का सिर्फ दो विभागीय आयुक्तों ने जवाब दिया है। पसंद के खाते नहीं मिलने से पहले से ही नाराज कांग्रेस के मंत्री अब शिवसेना के बढ़ते दखल से नाखुश हैं। बात दीगर है कि शिवसेना को उनकी नाराजगी की कोई परवाह नहीं है।

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