छह दिनों के बाद मंगलवार को संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही सुचारु रूप से शुरू हो गई, लेकिन इसके पीछे विपक्ष के ‘इंडिया’ गठबंधन में तीखे मतभेद के कारण बने हैं।मंगलवार को यह स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस को पीछे हटना पड़ा क्योंकि तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने अडानी मामले पर संसद की कार्यवाही बंद करने की कांग्रेस की रणनीति को विफल कर दिया।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के आग्रह पर कांग्रेस ने अडानी ग्रुप रिश्वत मामले को संसद के दोनों सदनों में उठाया था| हालांकि, तृणमूल सांसदों ने यह रुख अपनाया कि अडानी की बजाय लोगों की आजीविका से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जानी चाहिए। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस से कहा था कि उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा पर अडानी की बजाय चर्चा होनी चाहिए| सपा सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की थी और संभल मुद्दे पर लोकसभा में चर्चा के लिए समय की मांग की थी|
इस मांग पर सहमति जताते हुए तृणमूल कांग्रेस और सपने पार्लियामेंट ने आश्वस्त किया कि संसद की कार्यवाही शांतिपूर्वक जारी रहेगी| कहा जा रहा है कि इंडिया अलायंस में दोनों दलों के कड़े रुख के कारण कांग्रेस गायब हो गयी है| इसलिए माना जा रहा है कि राहुल गांधी ने भी समझौता कर लिया है|
बैठकों-प्रदर्शनों का बहिष्कार: राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के कक्ष में होने वाली दैनिक ‘इंडिया’ अघाड़ी नेताओं की बैठक में भी अन्य दलों ने अडानी मुद्दे पर जोर नहीं देने का अनुरोध किया| तृणमूल ने इन बैठकों में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया था| कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने मंगलवार को संसद परिसर में अडानी मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया| राज्यसभा में ‘सपा’ के सदस्यों ने संभल हिंसा पर विस्तृत पक्ष रखा|
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