प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिवसेना (ठाकरे समूह) पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे की आलोचना की। मोदी ने ठाकरे पर आरोप लगाया था कि भाजपा ने नहीं बल्कि शिवसेना ने गठबंधन तोड़ा है| महाराष्ट्र में एनडीए के सांसदों का मार्गदर्शन करते हुए मोदी ने यह बयान दिया| इस पर विधान परिषद नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने टिप्पणी की है| दानवे ने कहा, “अगर ठाकरे परिवार सत्ता का भूखा होता तो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं मिलती।”
अंबादास दानवे ने कहा, ”2014 में दो-तीन सीटों को लेकर विवाद था| तब तत्कालीन विपक्षी नेता एकनाथ खडसे ने उद्धव ठाकरे को फोन किया और बाद में गठबंधन तोड़ने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई| अब भी ‘मातोश्री’ पर दिया गया वचन किसने तोड़ा? महाराष्ट्र यह जानता है।”
विधायक संजय शिरसाट ने कहा, दोनों भाइयों का एक साथ आना खुशी की बात है,लेकिन यह उनका (ठाकरे समूह का) रवैया है कि वे अपना कुछ भी नहीं देंगे, इसलिए मुझे नहीं लगता कि दोनों पार्टियां एक साथ आएंगी| राज ठाकरे की शख्सियत अलग है| वे बहुत दयालु हैं| वे कभी भी ऐसा निर्णय ले सकते हैं. लेकिन, उनके (उद्धव ठाकरे के पक्ष) पक्ष के लोग ऐसा निर्णय नहीं लेने देंगे|
शिंदे गुट के प्रवक्ता संजय शिरसाट ने कहा, हम खुद ही शिवसेना एमएनएस (मनसे) गठबंधन की बात करते थे| 2014 में जब शिवसेना-भाजपा का गठबंधन नहीं था, तब हमने बात की थी| हम भाजपा के साथ गठबंधन नहीं कर रहे हैं तो हमें राज ठाकरे से बात करनी चाहिए.’ लेकिन नहीं, उन्होंने (ठाकरे समूह के वरिष्ठों ने) कहा, क्यों बात करें? जो लोग वहां जाना चाहते हैं वो जा सकते हैं| इसलिए कभी कोई नजदीकियां नहीं हुई|
“कोई भी यह कहने की हिम्मत नहीं करेगा कि ठाकरे परिवार झूठ बोल रहा है। क्योंकि, ठाकरे परिवार शब्दों का दांव खेलने वाला है। अगर ठाकरे परिवार सत्ता के लिए बेचैन होता तो मुख्यमंत्री की कुर्सी हिलने नहीं देता| भाजपा को पता है ठाकरे की अहमियत|अंबादास दानवे ने कहा, इसीलिए वे ठाकरे नाम को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।