दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया|हालांकि इससे केजरीवाल को राहत मिली और सुप्रीम कोर्ट ने ईडी मामले में जमानत दे दी, लेकिन केजरीवाल अभी जेल में ही रहेंगे|मामला सीबीआई में लंबित है और सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने जमानत के सवाल की जांच नहीं की है बल्कि हमने धारा 19 पीएमएलए के मापदंडों की जांच की है| हमने अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 45 के बीच अंतर समझाया है। धारा 19 अधिकारियों की व्यक्तिपरक राय है और न्यायिक समीक्षा के अधीन है। अनुच्छेद 45 का प्रयोग केवल न्यायालयों द्वारा किया जाता है।
केजरीवाल ने दिल्ली शराब नीति मामले में ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती दी थी और सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके साथ ही कहा गया कि केजरीवाल जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जा सकते हैं| केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी और उसके बाद ईडी की हिरासत में भेजे जाने के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। 9 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि केजरीवाल की गिरफ्तारी उचित थी| इस फैसले के खिलाफ केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया|
क्या कहता है दिल्ली हाई कोर्ट?: इसके बाद 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा|उच्च न्यायालय ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखा था और कहा था कि इसमें कुछ भी अवैध नहीं है क्योंकि कई समन भेजे जाने के बावजूद केजरीवाल ईडी कार्यालय में पूछताछ के लिए नहीं आए थे। इसके बाद कोर्ट ने कहा था कि ईडी के पास उन्हें गिरफ्तार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है|
मुख्यमंत्री केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। उन्हें निचली अदालत ने 20 जून को 1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी थी। हालांकि, अगले ही दिन ईडी ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया| ईडी ने दलील दी कि निचली अदालत का आदेश एकतरफा था| इसके बाद केजरीवाल को कथित उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार के एक मामले में 26 जून को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया।
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