महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा खुलासा किया है। 2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना के साथ आने से मुकर गई थी। जिसके बाद बीजेपी ने एनसीपी के साथ सरकार बनाने की कोशिश की थी लेकिन यह सरकार कुछ घंटों की रही। गौरतलब की उस समय देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने और अजित पवार उपमुख्यमंत्री, दोनों नेताओं ने मुंह अंधेरे शपथ ली थी। उस समय अजित पवार ने एनसीपी के दर्जन भर विधायकों का समर्थन मिलने का दावा किया था। हमेशा कहा जाता रहा है कि अजित पवार शरद पवार के अनुमति के बिना कुछ नहीं करते। इस संबंध में फडणवीस ने कई बार दावा किया है कि इस संबंध में शरद पवार से बातचीत की गई थी। लेकिन बाद में वे पलट गए।
एक निजी चैनल से बातचीत करते हुए देवेंद्र फडणवीस ने दावा कि किया है कि उस समय बीजेपी और एनसीपी की जो सरकार बनी थी उसमें शरद पवार की सहमति थी। लेकिन तीन चार दिन बाद शरद पवार अपनी बात से पलट गए और यह प्रयोग सफल नहीं हो पाया। उप मुख्यमंत्री फडणवीस ने दावा किया है कि बीजेपी और एनसीपी की सरकार बनाने के लिए उधर से पहल की गई थी।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि शरद पवार से बातचीत कर सरकार गठन का फैसला किया गया था। उस समय अजित पवार और मुझे सारे अधिकार दिए गए थे। मगर शपथ के तीन चार बाद शरद पवार अपनी बात से मुकर गए। बावजूद इसके अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री की शपथ ली थी। अजित पवार और हमें भरोसा था कि शरद पवार मान जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका और वह सरकार गिर गई।
बता दें कि 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और अविभाजित शिवसेना ने एक साथ चुनाव लड़ा था। लेकिन परिणाम आने के बाद शिवसेना ने सरकार में अपना मुख्यमंत्री बनाये जाने की बात कर हड़कंप मचा दिया। और बीजेपी शिवसेना का गठबंधन टूट गया। बीजेपी ने 105 सीटें जीती थी जबकि शिवसेना 56 सीटें। शिवसेना के इंकार के बाद बीजेपी ने एनसीपी के साथ जाकर सरकार बना ली थी उसके 54 विधायक थे। लेकिन यह सरकार 80 घंटे के अंदर ही गिर गई। इसके बाद एनसीपी कांग्रेस और शिवसेना ने सरकार बनाई जो ढाई साल चली। उसके बाद शिवसेना में टूट के बाद एक बार फिर बीजेपी ने सरकार बना ली।
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