भारतीय अर्थव्यवस्था के वास्तुकार थे डॉ. मनमोहन सिंह- पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण

यूपीए सरकार में डाॅ. मनमोहन सिंह ने मुझे प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी| फिर मुझे अगले छह वर्षों तक उनके साथ मिलकर काम करने का अवसर मिला।

भारतीय अर्थव्यवस्था के वास्तुकार थे डॉ. मनमोहन सिंह- पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण

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चाहे देश पर कितने भी संकट आएं, डॉ. मनमोहन सिंह की एक खासियत थी| उन्होंने देश को 1991 के वित्तीय संकट से आसानी से बाहर निकाल लिया था, जबकि 2008 में जब दुनिया के कई देश आर्थिक मंदी से प्रभावित थे, तब भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

वे देश के आर्थिक विकास के वास्तविक वास्तुकार थे। पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाणने उनके निधन पर कहा, मैं 1991 में पहली बार लोकसभा के लिए चुना गया। उस समय देश की आर्थिक स्थिति नाजुक थी। विदेश में सोना गिरवी रखने पर नाराजगी जताई गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी नरसिम्हा राव ने अनुरोध किया और डाॅ. मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री का पद संभाला|

उन्होंने आर्थिक उदारीकरण की नीति लागू करके देश को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाया। वित्तीय मोर्चे पर तस्वीर ख़राब थी| उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के परिस्थिति का सामना किया| एक सांसद के रूप में तब डाॅ. मैंने मनमोहन सिंह के कामकाज के तरीकों को करीब से देखा था|आर्थिक स्थिति में सुधार होने पर सोना देश में वापस लाया गया।आर्थिक उदारीकरण की नीति से देश में विदेशी निवेश बढ़ा।

उनकी आर्थिक नीतियों से रोजगार के अवसर बढ़े। 2004 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में डॉ. मनमोहन सिंह ने मुझे प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी|फिर मुझे अगले छह वर्षों तक उनके साथ मिलकर काम करने का अवसर मिला।

उनका स्पष्ट रुख था कि देश को आर्थिक मोर्चे पर आगे बढ़ना चाहिए।यूपीए में कई पार्टियों ने हिस्सा लिया| सभी सहयोगियों को साथ लेकर चलने की उनकी कुशलता सराहनीय थी|डॉ.मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री हैं और सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष हैं| इन दोनों नेताओं के बीच अच्छा तालमेल था|उन्होंने कभी किसी नेता का समर्थन नहीं किया|

2008 में दुनिया वैश्विक मंदी की चपेट में थी| पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई। शक्तिशाली राष्ट्र इसकी चपेट में आ गये।लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह की दूरदर्शिता और आर्थिक मामलों पर गहन अध्ययन पर भारत का ध्यान नहीं गया। दुनिया में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ी, लेकिन भारत में डॉ. सिंह की कठोर आर्थिक नीतियों के परिणाम नहीं मिले। 1991 की तरह 2008 में भी उन्होंने आर्थिक संकट से उबर लिया था| 

राज्य को पर्याप्त सहायता: प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान महाराष्ट्र और मुंबई को पर्याप्त सहायता मिली। मुंबई के आर्थिक महत्व को ध्यान में रखते हुए उनकी मूल योजना मुंबई में एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र स्थापित करने की थी। इसके मुताबिक बजट में इसका ऐलान किया गया था| जब 26 जुलाई को मुंबई भारी बारिश से प्रभावित हुई, तो वह डॉ. सिंह ही थे जिन्होंने मुंबई की जल निकासी व्यवस्था को और अधिक कुशल बनाने के लिए मुंबई को विशेष मदद दी। राज्य में किसान आत्महत्याओं में वृद्धि के बाद विदर्भ और मराठवाड़ा के किसानों के लिए विशेष पैकेज डॉ.मनमोहन सिंह ने इसकी घोषणा की थी|

मुंबई पर आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह ने सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए हर तरह से मदद की थी| उन्होंने सभी विपक्षी नेताओं को इस बात पर विश्वास में लिया था कि अमेरिका के साथ परमाणु समझौता कितना महत्वपूर्ण है| उनके कार्यकाल में शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, मनरेगा, खाद्य सुरक्षा जैसे कुछ दूरगामी फैसले लिये गये। 

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