डीआरडीओ: आंतरिक सुरक्षा को लेकर भारत के समक्ष कई चुनौतियां – रक्षा मंत्री!

राजनाथ सिंह ने कहा कि डीआरडीओ मुख्य रूप से दो प्रकार की तकनीकों पर काम करता है। 

डीआरडीओ: आंतरिक सुरक्षा को लेकर भारत के समक्ष कई चुनौतियां – रक्षा मंत्री!

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इन चुनौतियों के अलावा, भारत को बाहरी सुरक्षा से संबंधित विभिन्न खतरों का भी सामना करना पड़ रहा है। मौजूदा समय में साइबर और अंतरिक्ष (स्पेस) आधारित खतरों की भी बढ़ती चुनौती है। आंतरिक सुरक्षा को लेकर भारत के समक्ष आतंकवाद, अलगाववादी गतिविधियों, वामपंथी उग्रवाद, सांप्रदायिक तनाव, घुसपैठ और संगठित अपराध जैसी चुनौतियां हैं।

राजनाथ सिंह ‘आंतरिक सुरक्षा में उन्नत तकनीक’ विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे, जिसका आयोजन केंद्रीय गृह मंत्रालय और डीआरडीओ द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आंतरिक और बाह्य सुरक्षा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दिल्ली स्थित डीआरडीओ परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और आंतरिक सुरक्षा को सशक्त बनाना था। यह आयोजन डीआरडीओ और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए किया गया था।

रक्षा मंत्री ने कहा कि डीआरडीओ मुख्य रूप से दो प्रकार की तकनीकों पर काम करता है। पहला, सेना, नौसेना और वायुसेना के लिए आधुनिक तकनीक विकसित करना और दूसरा, अन्य सुरक्षा एजेंसियों के लिए उपयोगी प्रणालियाँ तैयार करना। इनमें छोटे हथियार, बुलेटप्रूफ जैकेट, संचार उपकरण, खुफिया प्रणाली, ड्रोन और एंटी-ड्रोन तकनीक शामिल हैं। रक्षा मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि गृह मंत्रालय और डीआरडीओ को मिलकर ऐसे उत्पादों की सूची तैयार करनी चाहिए जिन पर समयबद्ध तरीके से काम किया जा सके।

उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत आर्थिक रूप से स्थिर नहीं था, इसलिए प्राथमिक आवश्यकताओं पर ही ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे आपदा प्रबंधन की अनदेखी हुई। लेकिन अब परिस्थितियाँ बदल रही हैं और भारत आर्थिक रूप से सक्षम बनता जा रहा है। तकनीक का उपयोग हमारे दैनिक जीवन में लगातार बढ़ रहा है। पहले, मौसम पूर्वानुमान प्रणाली की कमी के कारण चक्रवात से भारी जनहानि और आर्थिक नुकसान होता था, लेकिन अब तकनीक के सहारे इसमें सुधार हुआ है। इसी तरह, आपदा प्रबंधन के अन्य क्षेत्रों में भी सुधार की आवश्यकता है।

आज वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव व्यापक रूप से देखा जा सकता है, और भारत भी इससे अछूता नहीं है। चक्रवात, भूकंप, हिमस्खलन, बाढ़ और बादल फटने जैसी घटनाएं देश में बार-बार हो रही हैं। हाल ही में उत्तराखंड में हिमस्खलन की घटना हुई, जिसमें कई निर्माण श्रमिक फँस गए थे।

रक्षा मंत्री ने कहा कि आपदाएं अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण होती हैं, लेकिन तकनीक की मदद से उनके प्रभाव को कम किया जा सकता है। हिमस्खलन की घटना में थर्मल इमेजिंग, विक्टिम लोकेशन कैमरा और ड्रोन आधारित इंटेलिजेंट डिटेक्शन सिस्टम जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया, जिससे बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई जा सकी।

आज की दुनिया में सुरक्षा चुनौतियां और जटिल होती जा रही हैं। इसका एक प्रमुख कारण आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के बीच बढ़ता हुआ संपर्क है। इसलिए, राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों को भी उसी अनुरूप परिष्कृत करने की आवश्यकता है, ऐसा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा।

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