सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की गई है कि चुनाव आयोग को लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान के आंकड़े (फॉर्म 17सी) आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है| जब चुनाव प्रक्रिया चल रही हो तो जनशक्ति की कमी के कारण चुनाव आयोग ऐसा नहीं कर सकता| इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मौजूदा हालात में ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता|
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स एंड कॉमन कॉज ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी| इस याचिका पर आज जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच के सामने सुनवाई हुई| इस दौरान कोर्ट ने साफ किया कि फिलहाल चुनाव आयोग को ऐसे निर्देश नहीं दिये जा सकते|अदालत ने यह भी कहा कि न्यायिक अवकाश अवधि समाप्त होने के बाद याचिका उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की जाएगी।
इस बीच पिछले शुक्रवार को भी इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई| इस समय कोर्ट ने चुनाव आयोग को सात दिन के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया था| इसी के तहत चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है| इस हलफनामे में अगर फॉर्म 17सी की कॉपी प्रकाशित की जाती है तो इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है| साथ ही अगर कॉपी वेबसाइट पर प्रकाशित होती है तो उसके साथ छेड़छाड़ और दुरुपयोग किया जा सकता है।इसके चलते चुनाव आयोग ने आशंका जताई थी कि आम जनता का चुनाव प्रक्रिया से भरोसा उठ सकता है|
फॉर्म 17सी वास्तव में क्या है?: चुनाव संचालन नियम 1961 के अनुसार, मतदान केंद्र पर दो दस्तावेज़ जारी किए जाते हैं, अर्थात् फॉर्म 17ए और फॉर्म 17सी। फॉर्म 17ए में चुनाव अधिकारी वोट देने आने वाले प्रत्येक मतदाता का विवरण दर्ज करता है। जबकि फॉर्म 17सी में कुल वोटिंग की जानकारी दर्ज होती है| मतदान के बाद फॉर्म 17सी भरा जाता है| इसकी एक प्रति प्रत्येक उम्मीदवार के प्रतिनिधि को दी जाती है। कुल मिलाकर फॉर्म 17सी में पंजीकृत मतदाताओं और मतदान केंद्र पर वोट डालने वाले मतदाताओं की जानकारी होती है। इससे मतदान के कुल प्रतिशत को समझने में मदद मिलती है|
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