महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने गुट के विधायकों, सांसदों और उनके परिवारों के साथ शनिवार, 26 नवंबर को गुवाहाटी पहुंचे। हालांकि यह दूसरी बार था जब शिंदे अपने 40 विधायकों और कुछ निर्दलीय एमएलए के साथ कामाख्या मंदिर के दर्शन के लिए पहुंचे थे। दरअसल इससे पहले जून में उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह के बाद शिंदे बागियों को लेकर गुवाहाटी पहुंचे थे। शिंदे गुट तीन दिनों तक गुवाहाटी में डेरा जमाए थे। वहीं इस बार के गुवाहाटी दौरे के बाद उनके खेमे की बगावत की चर्चा तेज हो गई है। क्योंकि कहा जा रहा है कि उनके कैंप के 6 विधायकों ने खुद को शिंदे गुट से अलग कर लिया हैं। इनमें से कुछ मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज चल रहे हैं। जबकि शिंदे गुट के एक विधायक ने कहा कि व्यक्तिगत और कुछ कार्यक्रमों की वजह से बाकी विधायक गुवाहाटी नहीं आयें।
मुख्यमंत्री और उनके समूह के विधायकों को असम की भाजपा सरकार ने राज्य अतिथि घोषित किया था। साथ ही उन सभी के लिए विशेष प्रकार की सुरक्षा प्रदान की गई है। शिंदे की इस यात्रा को एकता प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं यह भी कहा जा रहा यही कि शिंदे की बालासाहेबंची शिवसेना के कई विधायक पहले कैबिनेट विस्तार में शामिल नहीं होने को लेकर काफी परेशान हैं। तीन मंत्रियों सहित छह विधायक जिसमें तानाजी सावंत, गुलाबराव पाटिल, अब्दुल सत्तार, संजय गायकवाड, चंद्रकांत पाटील, महेंद्र दलवी ने स्वयं को इस यात्रा से अलग रखा।
वहीं विपक्षी नेताओं ने शिंदे गुट की काफी आलोचना की। बुलढ़ाणा में एक किसान रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिंदे गुट के पास मौसमी बारिश से प्रभावित किसानों से मिलने का समय नहीं है। उन्होंने कहा कि शिंदे गुट आशीर्वाद लेने गुवाहाटी गए हैं लेकिन मैं किसानों का आशीर्वाद लेने बुलढ़ाणा आया हूँ। वहीं मंदिर यात्रा पर तंज कसते हुए विपक्ष के नेता अजीत पवार ने कहा, “कामाख्या देवी भैसों की बलि मांगती हैं। शिंदे किसकी बलि देने जा रहे हैं?
शिंदे ने विपक्षी नेताओं को जवाब देते हुआ कहा, “महाराष्ट्र के लोगों के लिए और राज से सभी संकटों को दूर करने के लिए गुवाहाटी आए हैं। उन्होंने कहा की देवी के आशीर्वाद से हमें सरकार मिली और अब हम फिर से यहाँ आ गए हैं। वहीं भाजपा के नेता रवींद्र चौहान (खाद्य आपूर्ति मंत्री) और मोहित भारतीय (नागरिक आपूर्ति मंत्री) भी शिंदे गुट के साथ गुवाहाटी गए थे। वहीं जून में भी विफरोह के बाद ये दोनों नेता शिंदे गुट के साथ गुवाहाटी गए थे।
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