भारत सरकार ने हाल ही में दिए आदेश अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कर्मचारियों पर सम्मिलित होने की अनुमति दे दी है। सरकार ने 58 साल के निर्णय को पलट दिया है। 58 साल पहले देश में प्रशासन से जुड़े कर्मचारी और अधिकारियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में किसी भी कार्यक्रम अथवा गतिविधि में सम्मिलित होने या कार्य करने से रोक लगा दी गई थी जिस पर अब बड़ा निर्णय लिया गया है।
कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने 1966 में लगे इस प्रतिबंध को सही कहते हुए इसे हटाने पर सरकार की आलोचना की है जयराम ने आलोचना करते हुए कहा कि नौकरशाही अब निक्कर में भी आ सकती है। जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज करते हुए कहा “4 जून 2024 के बाद, स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और RSS के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है। 9 जुलाई 2024 को, 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया गया, जो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भी लागू था।”
जबकि जय राम रमेश की टिप्पणी पर ‘एक्स’ यूजर ने लिखा, जयराम रमेश अपने इस बात से सिद्ध कर रहे हैं कि यह प्रतिबंध लगाने वाली तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तानाशाह थी, जबकि नरेंद्र मोदी लोकशाही को बढ़ावा दे रहे हैं। साथ ही कांग्रेस के नेता इस प्रतिबंध को मान्यता देकर खुले तौर पर कहना चाहते हैं कि वह कभी भी सत्ता में आते हैं तो वह आपकी अभिव्यक्ति स्वतंत्रता छीन सकते हैं।
इस प्रतिबंध के हटाने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने संघ के ‘एक्स’ अकाउंट से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आधिकारिक भूमिका जाहिर की। उन्होंने कहा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है।
राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता एवं प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर संघ के योगदान के चलते समय-समय पर देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने संघ की भूमिका की प्रशंसा भी की है। अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते तत्कालीन सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए निराधार ही प्रतिबंधित किया गया था। शासन का वर्तमान निर्णय समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है।
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