Maharashtra: तीन पहिए की सरकार ने बदला फडणवीस सरकार का फैसला,क्या इससे बढ़ेगा करप्शन?

अब बगैर टेंडर के 10 लाख तक की खरीदारी कर सकेंगे सरकारी विभाग

Maharashtra: तीन पहिए की सरकार ने बदला फडणवीस सरकार का फैसला,क्या इससे बढ़ेगा करप्शन?

file photo

मुंबई। महाराष्ट्र के जनादेश को दकिनार कर बनी तीन दलों वालों सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए पिछली भाजपा सरकार के फैसलों को बदलने में जुटी है। सरकारी कार्यालयों की खरीद में होने वाले भ्रष्टाचार से हर कोई वाकिफ है। ऐसे में फडणवीस सरकार ने केवल 3 लाख तक की खरीदारी बगैर टेंडर के किए जाने की अनुमति दी थी। उससे ज्यादा राशि की खरीद के लिए टेंडर निकालना अनिवार्य किया था। लेकिन अब महा आघाडी सरकार ने इस फैसले को बदल दिया है। नए फैसले के अनुसार सरकारी कार्यालय अब 10 लाख रुपए तक की खरीदारी बगैर टेंडर कर के कर सकेंगे।

प्रदेश सरकार ने दर सूची के आधार पर सरकारी विभागों के कार्यालयीन खरीदी की सीमा को बढ़ाकर तीन लाख रुपए से दस लाख रुपए कर दिया है। जबकि दस लाख रुपए से अधिक राशि की खरीदी के लिए ई-टेंडर पद्धति अनिवार्य होगी। राज्य के उद्योग विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया है। शासनादेश के अनुसार राज्य के मुख्य सचिव सीताराम कुंटे की अध्यक्षता में उच्चाधिकारी पुनर्विलोकन समिति की बीते 27 अप्रैल को हुई बैठक की सिफारिशों के अनुसार यह फैसला लिया गया है। सरकारी विभागों को खरीदी के लिए बाजार से कम से कम से कम तीन अलग-अलग आपूर्तिकर्ताओं से दर सूची मंगानी होगी।

दर सूची देने वाले आपूर्तिकर्ता की संबंधित कार्यालय के साथ कोई हित संबंध नहीं होना चाहिए। एक वित्त वर्ष में एक वस्तु की दर सूची के आधार पर दस लाख रुपए से अधिक राशि की खरीदी नहीं की जा सकेगी। सरकार ने कहा है कि ऐसा संज्ञान में आया है कि खरीदारी करने वाले अधिकारी बड़ी राशि वाली खरीद आदेश को छोटे-छोटे परजेच आर्डर में विभाजित कर एक ही आपूर्तिकर्ता से दर सूची के आधार पर खरीदारी करते हैं। लेकिन अब इस प्रथा को बंद करना होगा। इससे पहले भाजपा सरकार ने 1 दिसंबर 2016 को शासनादेश जारी किया गया था। जिसके तहत सरकारी विभागों के कार्यालय के लिए दर सूची के आधार पर केवल 5 हजार से 3 लाख रुपए तक की खरीदारी की अनुमति दी गई थी।

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