विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने आज लोकसभा एवं राज्यसभा जनहित में चर्चा पर अमेरिका द्वारा भारतीयों को वापस भेजने के मुद्दे पर विपक्ष के सवालों का जवाब दिया| उन्होंने कहा कि अमेरिका के अप्रवासी नागरिकों को निर्वासित करने की प्रक्रिया नयी नहीं है और साल 2012 में संसोधन के बाद से अमेरिका ऐसे ही सेना के विमानों में अप्रवासियों को निर्वासित करता आ रहा है|
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सरकार और विदेश मंत्रालय के अधिकारी अमेरिका के साथ लगातार संपर्क में हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि किसी के साथ भी अमानवीय व्यवहार न हो| 5 फरवरी को अमेरिका से उड़ान भरने वाले विमान में महिलाओं और बच्चो को हथकड़ियां नहीं पहनाई गयी थी और आगे भी ऐसा नहीं होगा|
अप्रवासियों को सुरक्षा के मद्देनज़र हथकडिया पहनाने का नियम पहले से ही अंतराष्ट्रीय संबंधों में मान्य है| उनका कहना था कि अमेरिका के नियमों के तहत ही भारतियों को वापस भेजा गया है|हालांकि विपक्ष के कुछ ऐसे भी प्रश्न थे जिन पर विदेश मंत्री ने सुचारु रूप से उत्तर नहीं दिए लेकिन सदन के माध्यम से जनता को आश्वासन दिया है कि वो हर संभव प्रयास करेंगे।
उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि वहां जाने वाले भारतियों में सबसे ज़्यादा संख्या विद्यार्थियों की है, जो एजेंट्स और डीलर्स के बहकावे में आकर गलत तरीके से बाहर देशों में पहुंच जाते हैं और वह जाकर फंस जाते हैं| वापस आये भारतीयों ने भी इस बात की पुष्टि की है| यूक्रेन और इजराइल फ़िलस्तीन के युद्ध के दौरान चलाये गए भारत के ऑपरेशन का उदहारण देते हुए उन्होंने कहा, हमारी कोशिश रहेगी कि ऐसे सभी विद्यार्थियों के हित का ध्यानपूर्वक सम्मान किया जायेगा।
यह भी पढ़ें-
कश्मीर सॉलिडेरिटी डे: पाक का कश्मीरी खेल का अब नहीं होगा कोई असर…!