यूक्रेन की सुरक्षा और भविष्य की रक्षा रणनीति को लेकर करीब 30 देशों के सैन्य प्रमुखों ने ब्रिटेन में महत्वपूर्ण बैठक की। यह बैठक लंदन के पास नॉर्थवुड सैन्य अड्डे पर हुई, जहां यह तय किया गया कि यूक्रेन को पश्चिमी समर्थन कैसे मिले और सुरक्षा गठबंधन कैसे काम करे।
बैठक के दौरान ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा,”हर कोई शांति चाहता है, विशेष रूप से यूक्रेन के लोग। लेकिन यह तभी संभव होगी, जब एक ठोस सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि कोई भी समझौता सुरक्षित रह सके।”
ब्रिटेन और फ्रांस यूक्रेन को पश्चिमी समर्थन देने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं, खासकर तब जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत शुरू कर यूरोप को चौंका दिया। स्टार्मर ने कहा कि पहले की बैठकों में यह सहमति बनी थी कि यूक्रेन की रक्षा को लेकर सामूहिक रणनीति बनानी होगी। अब इस विचार को ठोस सैन्य योजना में बदला जा रहा है, जिसमें जल, थल और वायु तीनों मोर्चों पर सुरक्षा उपाय शामिल होंगे।
ब्रिटेन के डाउनिंग स्ट्रीट के एक सूत्र ने ‘द गार्जियन’ को बताया कि यह बैठक अब निर्णायक कारवाई की दिशा में बढ़ने का संकेत है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका की भागीदारी इस सुरक्षा व्यवस्था में अहम होगी। बैठक में फ्रांस, पोलैंड, नीदरलैंड, रोमानिया, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देश शामिल हुए। हालांकि, अमेरिका ने अब तक यूक्रेन में किसी पश्चिमी सैन्य उपस्थिति का औपचारिक समर्थन नहीं दिया है।
रूस ने इस बैठक पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यूरोप खुद को सैन्यीकरण की ओर धकेल रहा है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, “यूरोप ने खुद को एक युद्ध समर्थक गठबंधन में बदल लिया है, जो वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है।”
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इस बीच, रूस और अमेरिका के बीच अगली उच्चस्तरीय बैठक सोमवार को सऊदी अरब की राजधानी रियाद में होगी। रूसी राष्ट्रपति के सहयोगी यूरी उशाकोव ने इसकी पुष्टि की। मंगलवार (19 मार्च) को डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच फोन पर बातचीत हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने यूक्रेन में शांति प्रक्रिया के पहले कदम पर सहमति जताई। हालांकि, यूक्रेन ने साफ कर दिया है कि शांति वार्ताओं में उसकी प्रत्यक्ष भागीदारी जरूरी होगी। यूरोप के प्रमुख देशों ने भी कीव के इस रुख का समर्थन किया है।