कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिती चरमराई है। हालात इतने ख़राब हो चुके है की मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु ने 2 महीने तक वेतन लेने से मना कर दिया है। पिछले पांच दशकों में यह पहली बार हुआ है की हिमाचल प्रदेश सरकार पहली तारीख को वेतन नहीं दे पाई है। वेतन के लिए सरकारी कर्मचारियों को 5 सितंबर तक इंतजार करना होगा।
हिमाचल प्रदेश सरकार को केंद्र से रेवेन्यू डिफिसिट ग्रांट के 520 करोड़ रुपये आने हैं। 5 सितंबर तक राज्य सरकार को यह धनराशि आएगी, जिसके बाद राज्य के कर्मचारियों को वेतन मिल सकेगा। जो हालात वेतन के है वहीं हालात पेंशन के भी है। हिमाचल प्रदेश में सैलरी और पेंशन ना मिल पाने की स्थिति राज्य के गठन के बाद पहली बार आई है। 1971 में बने हिमाचल प्रदेश में लगभग पाँच दशक में कभी ऐसी स्थिति पहले नहीं आई है। जब कर्मचारियों को अपनी तनख्वाह और पेंशन के लिए इंतजार करना पड़ा हो।
आपको बता दें, हिमाचल प्रदेश को प्रतिमाह 1 हजार 200 करोड़ वेतन के लिए और 800 करोड़ पेंशन के लिए खर्च करने पड़ते हैं। कुल-मिलाकर यह खर्च 2 हजार करोड़ रुपये बनता है। राज्य सरकार की ओर से वेतन 5 तारीख के बाद ही दिया जाएगा लेकिन, कर्मचारी नेता संजीव शर्मा का दावा है कि राज्य सरकार की ओर से ट्रेजरी को यह कहा गया है कि वेतन कर्मचारियों को अभी वेतन न दिया जाए, जबकी इस प्रकार का कोई लिखित आदेश नहीं दिया गया है।
क्यों चरमराई हिमाचल की स्थिती?:
- हिमचाल की स्थिती का कारण रेवेन्यु डेफिसिट ग्रांट में कटौती बताया जा रहा है, लेकिन यह कटौती हमेशा से फॉर्मूला के हिसाब से होती आ रही है। इसबार वर्ष 2024-2025 के लिए भी रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में कटौती के कारण 1 हजार 800 करोड़ रुपये की कटौती हुई साथ ही लोन लिमिट में भी कटौती की गई है।
- इसके पीछे के एक वजह ओल्ड पेंशन स्किम बताई जा रही है। कहा गया है की, ओल्ड पेंशन स्किम के अपनाने से केंद्र से न्यू पेंशन स्किम में राज्य के कॉन्ट्रिब्यूशन की वजह से मिलने वाले 2 हजार करोड़ तक के लोन भी नहीं मिल पा रहा है, जिसका बोझ राज्य के खजाने पर पड़ा है।
- हिमाचल की आर्थिक स्थिति की डगमगाहट के पीछे का कारण राज्य का 2024-25 बजट भी है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ₹58,444 करोड़ का बजट सुक्खू सरकार ने पेश किया था। बजट के दौरान सरकार ने अपना राजकोषीय घाटा ₹10,784 करोड़ रखा, जबकी इसका बड़ा हिस्सा प्रदेश के पुराने कर्जे चुकाने में ही जाएगा। सक्खू की सरकार ने पेश किए इस बजट में ₹5479 करोड़ का खर्च पुराने कर्ज चुकाने और ₹6270 करोड़ का खर्च पुराने कर्ज का ब्याज देने में हो रहा है। यानी कर्जों के ही चक्कर बजट का लगभग 20% हिस्सा चला जाएगा।
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वहीं हिमाचल प्रदेश सरकार के पास इस वित्त वर्ष में दिसंबर तक लोन लिमिट 6 हजार 200 करोड़ रुपये है, जबकी इनमें से 3 हजार 900 करोड़ रुपये लोन किया गया है। इसी से हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकार को दिसंबर महीने तक का काम चलाना है। दिसंबर के बाद अगली तिमाही के लिए केंद्र की ओर से नयी लिमिट जारी की जाएगी, तब तक प्रदेश सरकार को अगले 2 महीने तक वेतन और पेंशन के लिए इसी प्रकार की कठनाई आ सकती है।