31 C
Mumbai
Friday, December 12, 2025
होमराजनीतिआसाम के मुस्लिम मतदाता मुझे नहीं चुनेंगे, चाहे ₹10,000 दूं या ₹1...

आसाम के मुस्लिम मतदाता मुझे नहीं चुनेंगे, चाहे ₹10,000 दूं या ₹1 लाख: मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा

"मुझे एक बार बताया गया कि एक मुस्लिम मतदाता मेरे काम से इतना खुश था कि जरूरत पड़े तो किडनी भी दान कर देगा, लेकिन वोट कभी नहीं देगा।"

Google News Follow

Related

आसाम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि राज्य की राजनीति में वोट केवल सरकारी योजनाओं या आर्थिक प्रलोभनों से तय नहीं होते, बल्कि विचारधारा इसकी सबसे बड़ी आधारशिला है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि चाहे उन्हें ₹10,000 दिए जाएं या ₹1 लाख, मुस्लिम मतदाता उन्हें वोट नहीं देंगे। सरमा का यह बयान ‘एजेंडा आज तक 2025’ कार्यक्रम में सामने आया।

कार्यक्रम के दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या वह भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरह किसी योजना पर विचार कर रहे हैं, जैसे महिला रोजगार योजना के तहत 21 लाख महिलाओं को ₹10,000 दिए जा रहे हैं। तो सरमा ने कहा, “अगर मैं ₹1 लाख भी दे दूं, तब भी समुदाय का एक बड़ा हिस्सा मुझे वोट नहीं करेगा।”

जब उनसे पूछा गया कि वह किस समुदाय की बात कर रहे हैं, तो मुख्यमंत्री ने जवाब दिया, “जिन्हें हम मिया मुसलमान कहते हैं। मुझे एक बार बताया गया कि एक मुस्लिम मतदाता मेरे काम से इतना खुश था कि जरूरत पड़े तो किडनी भी दान कर देगा, लेकिन वोट कभी नहीं देगा।” सरमा ने कहा कि मतदाताओं का निर्णय केवल योजना या लाभ के आधार पर नहीं होता, बल्कि एक विचार या सोच उन्हें प्रेरित करती है।

उन्होंने कहा,“मैं किसी को दोष नहीं देता। यह मान लेना कि योजनाओं से अपने आप वोट मिल जाते हैं, बहुत सतही सोच है। सरकार में रहते हुए योजनाएं बनाना जरूरी है, लेकिन यह सोचना कि केवल इसी से चुनाव जीता जा सकता है, गलत है।”  मुख्यमंत्री सरमा ने इसका कारण बताया की, “उन्होंने 10 लाख एकड़ जमीन कब्ज़ा कर रखी है, जिसे खाली करना मेरी जिम्मेदारी है। मुझे उन्हें जेल भेजना है। मैं यह सब काम करता हूं तो वो मुझे वोट कैसे देंगे।”

चर्चा के दौरान सरमा ने आसाम में बदलते जनसांख्यिकीय अनुपात को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने इसे डेमोग्राफिक इन्वेज़न बताया और दावा किया कि यदि राज्य में मुस्लिम आबादी 50 प्रतिशत से ऊपर पहुंचती है, तो अन्य समुदायों के  बचने की संभावना बेहद कम हो जाएगी। उन्होंने बताया कि, 2021 में असम की मुस्लिम आबादी लगभग 38% थी।  2027 तक इसके 40% तक पहुंचने का अनुमान है। 1961 से अब तक मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि दर 4–5% प्रति दशक के आसपास रही है। सरमा के अनुसार, दशकों से अनियंत्रित विस्थापन के कारण स्वदेशी असमिया जनसंख्या अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है।

अपनी सख्त टिप्पणियों के बावजूद सरमा ने कहा कि उनके मिया मुस्लिम समुदाय और मुस्लिम महिलाओं से बहुत अच्छे संबंध हैं। उन्होंने कहा कि भले ही मुस्लिम मतदाता कांग्रेस के साथ चले जाएं, बीजेपी सरकार फिर भी जीत जाएगी।  दौरान मुख्यमंत्री ने एक टिप्पणी यह भी जोड़ी,“जो आसामिया नहीं हैं और जो भारतीय नहीं हैं, वे मेरे लोग नहीं हैं।”

यह भी पढ़ें:

पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल का निधन, मुंबई हमले पर इस्तीफा!

मध्य प्रदेश: सीहोर में जनजातियों को धर्मांतरण के लिए बहला-फुसलाने वाला गिरोह पकड़ा गया

अमेरिकी नीतियां यूरोप और डेन्मार्क के लिए संभावित सुरक्षा खतरा; डेनिश ख़ुफ़िया एजेंसी की रिपोर्ट

National Stock Exchange

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Star Housing Finance Limited

हमें फॉलो करें

151,683फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
284,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें