केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (21 मार्च)को राज्यसभा में घोषणा की कि दिसंबर के बाद वह हर राज्य के मुख्यमंत्री, सांसद, मंत्री और नागरिकों से उनकी ही भाषा में पत्र व्यवहार करेंगे। उन्होंने कहा कि यह उन लोगों के लिए एक सख्त जवाब होगा जो भ्रष्टाचार छुपाने के लिए भाषा को राजनीतिक मुद्दा बनाते हैं।
राज्यसभा में बोलते हुए अमित शाह ने कहा, “हम भारत की सभी भाषाओं को समान रूप से महत्व देते हैं। भारत की हर भाषा हमारी संस्कृति का गहना है।” उन्होंने तमिलनाडु सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह इंजीनियरिंग और मेडिकल पाठ्यक्रमों का अनुवाद क्षेत्रीय भाषाओं में कराने में विफल रही है।
गृह मंत्री ने कहा, “हम दो साल से तमिलनाडु सरकार से कह रहे हैं कि हिम्मत दिखाएं और इंजीनियरिंग तथा मेडिकल की पढ़ाई को तमिल में अनुवाद करवाएं, लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे, क्योंकि उनके आर्थिक हित इससे जुड़े हैं। मगर जब हमारी सरकार आएगी, तो हम तमिलनाडु में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई तमिल भाषा में करवाएंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग दक्षिण भारत की भाषाओं को बचाने के नाम पर हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं का विरोध कर रहे हैं। “जो लोग भाषा के नाम पर जहर फैला रहे हैं, उन्हें सोचना चाहिए कि तमिलनाडु का बच्चा गुजरात, दिल्ली और कश्मीर में काम कर सकता है। देश भाषा के नाम पर बंट चुका है, अब हमें आगे बढ़ना चाहिए,” अमित शाह ने कहा।
गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “हम तमिल, तेलुगू, मराठी, गुजराती, पंजाबी, बंगाली, असमिया और अन्य सभी भारतीय भाषाओं के विकास के लिए काम कर रहे हैं। हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है। हिंदी और भारतीय भाषाएं एक-दूसरे को मजबूत करती हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि राजभाषा विभाग के तहत तीन खंड राष्ट्रपति को भेजे गए हैं, जिनमें भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने के उपाय शामिल हैं।
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अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पद्म पुरस्कारों का लोकतंत्रीकरण किया है। उन्होंने कहा, “अब इन पुरस्कारों को केवल प्रभावशाली लोगों तक सीमित नहीं रखा गया है, बल्कि सामान्य घरों से आए उन लोगों को भी दिया गया है, जिन्होंने समाज और देश में छोटे लेकिन महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं।”
इससे पहले, तमिलनाडु सरकार ने केंद्र पर हिंदी भाषा थोपने का आरोप लगाया था, जिसका गृह मंत्री ने जोरदार खंडन किया। उन्होंने कहा कि सरकार सभी भाषाओं को समान सम्मान देती है और उनका संरक्षण व संवर्धन करने के लिए प्रतिबद्ध है।