UP की सियासत में पूर्वांचल के इन जिलों का है अहम रोल,सबकी टिकी नजर

UP की सियासत में पूर्वांचल के इन जिलों का है अहम रोल,सबकी टिकी नजर

file photo

भाजपा, सपा, बसपा कांग्रेस व सभी का फोकस इन दिनों पूर्वांचल पर ही है। हर कोई सत्ता पाने के लिए चुनावी समर में अपने तरकश के तीर चलाने में जुट चुका है। सभी दलों को लगता है कि यहां की 164 सीटों पर विजय मिल जाए तो सत्ता पाने में आसानी रहेगी। इसी कारण सभी राजनीतिक दल इन दिनों पूर्वांचल को ही अपना सियासी आखाड़ा बनाए हुए हैं। भाजपा के लिए पूर्वांचल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृहजनपद गोरखपुर और प्रधानमंत्री की संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी इसी में शामिल है।

2014 का लोकसभा हो, या फिर 2017 का विधानसभा चुनाव, फिर 2019 चुनाव में भी यहां भाजपा को अच्छी सफलता मिली है। उसी जीत को बरकार रखने के लिए भाजपा का यहां पर ज्यादा जोर है। खुद प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अमित शाह ने यहां की कमान अपने हाथों में संभाल रखी है। 2022 चुनाव को देखते प्रधानमंत्री मोदी ने कुशीनगर, सिद्धार्थ नगर, वाराणसी का दौरा कर कई सौगात दे चुके हैं। अब उनका दौरा 16 नवम्बर को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन भी करेंगे। अपनी जीत के क्रम को बरकार रखने के लिए भाजपा ने 2022 में संजय निषाद की निषाद पार्टी और अनुप्रिया पटेल की अपना दल से समझौता कर रखा है।

पूर्वांचल में के ये जिले राजनीति की दशा-दिशा बदलने में सहायक होते हैं। इनमें वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिजार्पुर, सोनभद्र, प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संतकबीरनगर, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, चंदौली, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, कौशांबी और अंबेडकरनगर जिले शामिल हैं। भाजपा को 2017 में तकरीबन 115 सीटें मिली थी, जिसकी दम पर वह सत्ता पर काबिज हुए थे। सपा को 17 सीटें हासिल हुई थी। बसपा के खाते पर भी 14 सीटे आई थी। कांग्रेस को 2 जबकि अन्य के खाते में 16 सीटें मिली थी।

2012 में जब सपा सत्ता में आयी थी, तो पूर्वांचल का रोल बहुत अहम था। इसी कारण सपा के मुखिया अखिलेश यादव भी पूर्वांचल में भाजपा का किला ढहाने के लिए ओमप्रकाश राजभर से हांथ मिलाया है। उन्होंने उनके साथ मंच पर एक रैली भी की है। इसके बाद अखिलेश यादव ने बसपा के मजबूत किले अम्बेडकर नगर के दो मजबूत नेता लालजी वर्मा और रामअचल राजभर को शामिल कराकर बड़ा संदेश दिया है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपना पूर्वांचल गढ़ बचाने के लिए लगातार प्रयास में लगी है। इसी कारण प्रबुद्ध सम्मेलनों में यहां के जिलों पर विशेष फोकस रहा है। अभी वाराणसी में 14 नवम्बर महिला सम्मेलन होने जा रहा है। जिसकी कमान सतीश मिश्रा की पत्नी के हाथों में है।

इसके अलावा युवा सम्मेलन भी पूर्वांचल के जिलों में होंगे। कांग्रेस पार्टी भी पूर्वांचल की ओर अपना रूख कर चुकी है। कई छोटी-छोटी बैठकों के अलावा पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने वाराणसी और गोरखपुर में दो बड़ी रैली कर चुकी है। उनका फोकस भी अभी पूर्वांचल की ओर ही है। कांग्रेस के पास पूर्वांचल में महज दो सीटे मिली थी, उन्हें अपनी सीटे बढ़ानी है।

 

 

 

Exit mobile version