पश्चिम यूपी के मुस्लिम वोटरों को इस तरह अपने पाले में लाएगी BJP?

पश्चिम यूपी के मुस्लिम वोटरों को इस तरह अपने पाले में लाएगी BJP?

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उत्तर प्रदेश में विधानसभा की करीब 110 सीटें हैं, जहां मुसलमान वोट अच्छी खासी संख्या में हैं। ऐसी अधिकांस सीटें पश्चिम उत्तर प्रदेश में हैं। मुसलमान वोटों को अपने पाले में करने के लिए बीजेपी ने राजनीतिक रणनीति बनाने के अलावा सरकारी नीतियों का भी सहारा लिया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक उज्जवला योजना के लाभार्थियों में 39 फीसदी मुसलमान हैं और आवास योजनाओं के 37 फीसदी लाभार्थी मुसलमान बताए जा रहे हैं।

बीजेपी ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे के साथ अब मुसलमानों को भी अपने पाले में करने की योजना बनाई है। पार्टी की नजर उन सीटों पर है, जहां 2017 के चुनाव में उसे 5000 से कम वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। माना जाता है कि 2017 के चुनाव में करीब 2 फीसद मुसलमानों ने बीजेपी को वोट किया था। हालत यह थी कि बीजेपी को उन इलाकों में बड़ी कामयाबी मिली जहां दंगा हुआ था।

मुसलमानों में राष्ट्रवाद की भावना विकसित करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दिसंबर 2002 में राष्ट्रीय मुस्लिम मंच का गठन किया था. राष्ट्रीय मुस्लिम मंच मुसलमानों में बीजेपी की पहुंच बनाने का काम भी करता है। वहीं बीजेपी ने अपने अल्पसंख्यक मोर्चे को भी मजबूत किया है। अल्पसंख्यक मोर्चा मुस्लिम बहुल इलाकों में अपना बूथ और मंडल के स्तर के संगठन को विस्तार देने में लगा हुआ है, हर विधानसभा सीट पर अल्पसंख्यक मोर्चा के 50 कार्यकर्ताओं को उतारा गया है, एक कार्यकर्ता पर 100 मतदाताओं से संपर्क बनाने की जिम्मेदारी दी गई है।

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड, फकरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी, उर्दू अकादमी, राज्य हज कमेटी और शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड का गठन कर राष्ट्रवादी सोच वाले मुसलमानों को इसमें शामिल किया है. अब तक के इतिहास में सबसे कम 23 मुसलमान 2017 के विधानसभा चुनाव में विधानसभा पहुंचे थे, इससे पहले 2012 के चुनाव में 64 मुसलमान पहुंचे थे, इनमें से सपा के टिकट पर 41, बसपा के टिकट पर 15, कांग्रेस के टिकट पर 2 और 6 अन्य दलों के टिकट पर जीते थे. वहीं 2006 के चुनाव में 56 मुसलमान विधानसभा पहुंचे थे. इनमें बसपा के टिकट पर 29, सपा के टिकट पर 21 और 6 अन्य दलों के टिकट पर जीते थे।

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