बांग्लादेश महिला परिषद की अध्यक्ष फौजिया मोस्लेम ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा, “देश में अराजकता बढ़ रही है, अपराधियों को दंड से छूट मिल रही है, और कानून व्यवस्था की नाकामी अपराध को और बढ़ावा दे रही है। अगर समाज जागरूक नहीं हुआ, तो इस समस्या का समाधान बेहद कठिन हो जाएगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के बजाय, समझौतावादी रवैया अपनाया जा रहा है, जिससे अपराधियों को और ताकत मिल रही है। कानून की अनदेखी, अधिकारियों की निष्क्रियता और न्याय प्रणाली की सुस्ती भी इस समस्या को बढ़ा रही है।
चिंताजनक आंकड़े: फरवरी 2025 में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा की 295 घटनाएं दर्ज हुईं, जो जनवरी की तुलना में 24 अधिक हैं। मानवाधिकार संगठन ऐन ओ सलीश केंद्र के अनुसार, फरवरी में 46 महिलाएं बलात्कार की शिकार हुईं, जिनमें से 22 की उम्र 18 वर्ष से कम थी। ढाका में 19 से 48 वर्ष की उम्र की 21 महिलाओं ने खुलासा किया कि पिछले तीन महीनों में उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर यौन उत्पीड़न झेलना पड़ा।
‘द ढाका ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामी कट्टरपंथी समूह और अन्य चरमपंथी तत्व महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा में अहम भूमिका निभा रहे हैं, जिससे उनकी सुरक्षा को गंभीर खतरा है।
देश में बिगड़ती कानून व्यवस्था के कारण विरोध प्रदर्शनों में भी उछाल आया है। गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी के इस्तीफे की मांग जोर पकड़ रही है, क्योंकि कई लोग उन्हें इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, बांग्लादेश महिला परिषद ने भी महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि की निंदा करते हुए कानून प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।