अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: सरकारी योजनाओं से सशक्त हुई महिलाएं, प्रतिभा ने संवारा जीवन!

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाएं अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही हैं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: सरकारी योजनाओं से सशक्त हुई महिलाएं, प्रतिभा ने संवारा जीवन!

International-Womens-Day-With-the-help-of-government-schemes-a-handful-of-women-took-flight-with-courage-and-managed-the-household-with-skill

जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले की महिलाएं अब अधिक आत्मनिर्भर और सशक्त हो रही हैं। यह बदलाव सरकारी योजनाओं की सहायता से संभव हुआ है, जिनका उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक स्वतंत्रता प्रदान करना है। जिले की कई महिलाएं केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा रही हैं, जिनमें स्वयं सहायता समूह (SHG) की भूमिका अहम है। इन समूहों के माध्यम से महिलाएं आपस में सहयोग करती हैं, संसाधन साझा करती हैं और वित्तीय सहायता प्राप्त कर छोटे व्यवसाय शुरू करने में सक्षम हो रही हैं।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाएं अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। यह योजना गरीब परिवारों को स्वरोजगार और बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करने का लक्ष्य रखती है, जिससे उधमपुर की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं।

‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ भी महिला उद्यमियों को सहयोग दे रहा है। इस योजना के तहत महिलाएं छोटे उद्योग शुरू कर रही हैं, जिससे न केवल उनका भविष्य संवर रहा है, बल्कि जिले की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है।

उधमपुर की उपायुक्त सुश्री सलोनी राय ने महिलाओं की इस प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि सरकारी योजनाओं की मदद से महिलाएं व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ समाज के उत्थान में भी योगदान दे रही हैं। वे परिवार की आय बढ़ाने में मदद कर रही हैं और अपने व्यवसायों को सफलतापूर्वक चला रही हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों से महिलाओं की कुशलता में सुधार हुआ है, जिससे वे स्थानीय और राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो गई हैं। साथ ही, वे सामुदायिक निर्णय लेने में भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

स्वयं सहायता समूह का नेतृत्व करने वाली सरीता देवी ने बताया कि वे शुरू से ही अपना व्यवसाय शुरू करना चाहती थीं, लेकिन आर्थिक सहायता न मिलने के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। बाद में उन्होंने हॉर्टिकल्चर विभाग से प्रशिक्षण लिया और जूट की खेती शुरू की। इसके अलावा, वे अचार, जैम और मसाला भी तैयार कर रही हैं। उनके साथ 12 अन्य महिलाएं भी काम कर रही हैं, जो अब आत्मनिर्भर हैं और अपनी आय से खुश हैं।

यह भी पढ़ें-

हजारीबाग में एनटीपीसी के डिप्टी जनरल मैनेजर की गोली मारकर हत्या, रंगदारी गैंग पर शक

Exit mobile version