जम्मू-कश्मीर चुनाव 2024: निर्णायक होंगे अनुसूचित मतदाता!, लुभाने में लगे राजनीतिक दल!

नए परिसीमन में आरक्षित सीटों पर उम्मीदवार तलाशने में पार्टियां फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। कोई भी राजनीतिक पार्टी उम्मीदवारों को लेकर जोखिम नहीं उठाना चाहता है| 

जम्मू-कश्मीर चुनाव 2024: निर्णायक होंगे अनुसूचित मतदाता!, लुभाने में लगे राजनीतिक दल!

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश में बाद चुनाव आयोग द्वारा जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का ऐलान कर दिया है| तीन चरणों में होने वाले इस चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां पूरा दमखम लगाती दिखाई दे रही हैं|वही जम्मू, सांबा, कठुआ और उधमपुर जिलों में 20 से 25 प्रतिशत मतदाता एससी समुदाय के हैं। क्षेत्र की आरक्षित सात विधानसभा सीटों पर 50 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या है|नए परिसीमन में आरक्षित सीटों पर उम्मीदवार तलाशने में पार्टियां फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। कोई भी राजनीतिक पार्टी उम्मीदवारों को लेकर जोखिम नहीं उठाना चाहता है| 

प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति जनजाति के मतदाता अपनी महत्वपूर्ण भूमिका में हैं|यही कारण सभी पार्टियों की नजर इन क्षेत्रों की आरक्षित 7 सीटों पर टिकी हुई है|इन आरक्षित सीटों पर राजनीतिक दलों को उम्मीदवार को लेकर काफी मशक्कत करते दिखाई दे रहे हैं।

बता दें कि इन 7 सीटों को मिलाकर जम्मू, सांबा, कठुआ और उधमपुर की कुल 24 सीटों में भी अनुसूचित जाति के उम्मीदवार पार्टियों के लिए एक बड़ी समस्या है। क्योंकि इस क्षेत्रों की 24 विधानसभा सीटों में 17 पर 25 से 30 प्रतिशत अनुसूचित जाति के मतदाता हैं।

गौरतलब है कि जम्मू में सुचेतगढ़, मड़, अखनूर और बिश्नोई, सांबा में रामगढ़, कठुआ में कठुआ, उधमपुर में रामनगर सीट अनुसूचित जाती के लिए आरक्षित है। ये सीटें पहले जनरल वर्ग के लिए थी। जहां कांग्रेस, भाजपा मुख्य रूप से जीत दर्ज करती आई है। इन सीटों पर बड़े नेता भी जनरल वर्ग के उम्मीदवार रहे हैं।

वही, अन्य जिलों की सीटों पर 20 से 25 प्रतिशत अनुसूचित जाति की तो इसमें पार्टियों के लिए उम्मीदवार का चेहरा निर्भर करेगा। क्योंकि ये वोट बंटेगा। ऐसे में हर समुदाय के बीच अच्छी पैठ रखने वाला उम्मीदवार अनुसूचित मत हासिल कर सकता है। एक समय में सीटें आरक्षित होती हैं। हर दल कोशिश करता है कि वह जीतने वाला ही उम्मीदवार उतारे। इसलिए राजनीतिक दल जोर लगा रहे हैं कि आरक्षित सीट पर जीत दर्ज करने वाला ही उम्मीदवार को मैदान में उतारा जाये।

भाजपा कई चर्चित चेहरों को इन सीटों पर उतारना चाहती है, ताकि जीत दर्ज कर सके। वहीं कांग्रेस भी पुराने एससी नेताओं को साथ जोड़ रही है, ताकि जीत सके। बता दें कि एससी समुदाय में 13 जातियां शामिल हैं। अब जबकि सीटें आरक्षित हैं तो उम्मीदवार तलाश करने में खूब जोर लगाना पड़ रहा है। पार्टियां दूसरे क्षेत्रों के उम्मीदवारों को ढूंढ रही हैं।

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