कर्नाटक: कांग्रेस-भाजपा टिकट बंटवारे से सम्मानित हुआ लिंगायत समुदाय
लिंगायत समुदाय अब तक भाजपा के पक्ष में झुकता नजर आया है| कर्नाटक चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले इस समुदाय का समर्थन हासिल करने के लिए कांग्रेस भी मजबूत कदम उठा रही है|
Team News Danka
Updated: Mon 10th April 2023, 12:25 AM
चुनाव आयोग ने 29 मार्च को कर्नाटक राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा की। सत्ता हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही कांग्रेस पार्टी ने उनसे विमुख लिंगायत समुदाय को अपने पक्ष में करने की कोशिश शुरू कर दी है। इस मकसद से कांग्रेस 224 सीटों वाली विधानसभा में लिंगायत समुदाय के उम्मीदवारों को 55 सीटें देने की कोशिश कर रही है| लिंगायत समुदाय अब तक भाजपा के पक्ष में झुकता नजर आया है| कर्नाटक चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले इस समुदाय का समर्थन हासिल करने के लिए कांग्रेस भी मजबूत कदम उठा रही है|
कांग्रेस ने अब तक विधानसभा उम्मीदवारों की दो सूचियों की घोषणा की है। इनमें से 124 उम्मीदवारों की पहली सूची 25 मार्च को और 42 उम्मीदवारों की दूसरी सूची 6 अप्रैल को जारी की गई थी| अब तक कुल 166 उम्मीदवारों की घोषणा की जा चुकी है। जिनमें से 43 लिंगायत समुदाय से हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने लिंगायत समुदाय के 43 उम्मीदवारों को मौका दिया था। वह नंबर अब दूसरी लिस्ट में ही आ गया है। अगली सूची में लिंगायत समुदाय के कुछ और उम्मीदवारों को मौका दिया जा सकता है।
भाजपा में लिंगायत समुदाय के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा को इस चुनाव से दूर रखा गया है| इसलिए उनका मुख्यमंत्री पद पर कोई दावा नहीं है। कांग्रेस में लिंगायत समुदाय के नेताओं ने अनुमान लगाया है कि इससे लिंगायत समुदाय में नाराजगी हो सकती है। इस मौके का फायदा उठाने के लिए कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा लिंगायत उम्मीदवारों को टिकट दे रही है। फिर भी कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के तौर पर लिंगायत समुदाय का चेहरा सामने नहीं रखा है|
कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष व लिंगायत समाज के नेता ईश्वर खंड्रे ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि लिंगायत समाज कांग्रेस के साथ है| कम्युनिटी कैंडिडेट्स को ज्यादा टिकट देने से निश्चित रूप से चुनाव में फायदा होगा। लिंगायत समुदाय के नेताओं ने ही कुछ महीने पहले कांग्रेस से ऐसी मांग की थी। इसीलिए पार्टी की पहली दो लिस्ट में इसकी साफ तस्वीर देखने को मिली थी| दूसरी ओर 1990 के दशक से कर्नाटक में लिंगायत समुदाय ने भाजपा को अपनी सबसे करीबी पार्टी माना है।