केरल में एक विवादास्पद बयान ने सियासी भूचाल ला दिया है। श्री नारायण धर्म परिपालन योगम (SNDP) के महासचिव और प्रभावशाली इझावा नेता वेल्लप्पल्ली नटेशन ने दावा किया है कि “केरल 2040 तक मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा”। इस बयान ने विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की मुख्य गैर-बीजेपी पार्टियों—सीपीएम, कांग्रेस और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML)—को आमने-सामने ला खड़ा किया है। बीजेपी इस पूरी बहस में किनारे से तमाशा देख रही है।
नटेशन ने 19 जुलाई को कोट्टायम में SNDP की एक बैठक में कहा कि “मुस्लिम आबादी में जिस तेजी से वृद्धि हो रही है, उससे स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में वे बहुसंख्यक बन जाएंगे।” उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने पहले ही इस जनसांख्यिकीय परिवर्तन की भविष्यवाणी की थी।
नटेशन ने आगे आरोप लगाया कि केरल की सरकार मुस्लिम नेताओं, विशेष रूप से सुन्नी धर्मगुरु कांथापुरम ए पी अबूबकर मुसलियार के इशारों पर चल रही है। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार को अब सिर्फ कांथापुरम की बात सुननी है और वही शासन चलाना है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि IUML 2026 के विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री पद की ओर देख रही है।
नटेशन के बयान पर सबसे तीखी प्रतिक्रिया कांग्रेस और IUML की ओर से आई। विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने नटेशन को “मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का प्रवक्ता” करार देते हुए आरोप लगाया कि यह बयान सीपीएम की रणनीति के तहत बहुसंख्यक वोटों को एकजुट करने के लिए दिया गया है।
उन्होंने कहा, “नटेशन की भाषा वही है जो सीपीएम नेता मालप्पुरम को लेकर बोलते हैं और जो बातें मुख्यमंत्री दिल्ली में जनसंपर्क एजेंसियों के जरिए प्रचारित करवा रहे हैं। यह सब श्री नारायण गुरु के सिद्धांतों के खिलाफ है।”
IUML नेता पीके कुन्हालीकुट्टी ने नटेशन के बयान को “खुलेआम सांप्रदायिक और भड़काऊ” बताते हुए कहा कि “राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि ऐसे सामाजिक संगठनों का उपयोग कर समुदायों में नफरत फैलाने वालों पर कानूनी कार्रवाई करे।”
सीपीएम का संतुलन साधने का प्रयास
सीपीएम, जो परंपरागत रूप से इझावा समुदाय का समर्थन प्राप्त करती रही है, इस विवाद में संतुलन साधने की कोशिश करती नजर आई। पार्टी की राज्य इकाई ने SNDP को सलाह दी कि वह श्री नारायण गुरु के धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील विचारों का पालन करे।
सीपीएम ने यह स्पष्ट किया कि सामाजिक संगठन लोगों से जुड़े मुद्दों पर बोल सकते हैं, लेकिन उन्हें धार्मिक विभाजन या नफरत नहीं फैलानी चाहिए।
गौरतलब है कि नटेशन के बेटे तुषार वेल्लप्पल्ली, बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के घटक दल ‘भारत धर्म जना सेना’ (BDJS) के प्रमुख हैं। इससे SNDP और बीजेपी के बीच राजनीतिक समीकरण पहले से ही चर्चाओं में रहे हैं।
पुराने आरोप और नया मोड़
यह पहली बार नहीं है जब नटेशन ने ऐसा विवाद खड़ा किया हो। अप्रैल में उन्होंने मुस्लिम-बहुल मालप्पुरम जिले को “अलग राष्ट्र” कहा था, जिस पर मुख्यमंत्री विजयन ने उनका बचाव करते हुए कहा था कि यह बयान “एक राजनीतिक पार्टी” के लिए था, न कि समुदाय के लिए।
निष्कर्ष: जनसंख्या, धर्म और सत्ता का तिकड़म
वेल्लप्पल्ली नटेशन के इस बयान ने केरल की तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राजनीति को कटघरे में खड़ा कर दिया है। कांग्रेस और IUML जहां इसे सीपीएम की रणनीति बता रहे हैं, वहीं सीपीएम को इझावा समुदाय का समर्थन भी चाहिए और धर्मनिरपेक्ष छवि भी बचाए रखनी है।
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