कोलकाता के आरजी कर अस्पताल की युवा प्रशिक्षार्थी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले के बाद देशभर से डॉक्टर एवं मेडिकल स्टाफ में गुस्सा है। ऐसे में कई दिनों से डॉक्टरों ने लगातार पीड़िता के न्याय के लिए अस्पताल में धरने प्रदर्शन दिए है। कुछ दिनों पहले प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को किनारा करने के लिए सुनियोजित तरीके से उन्मादी भीड़ द्वारा हमले का वाकिया भी हुआ है, जिसके बाद पश्चिम बंगाल की ममता बॅनर्जी की सरकार की मुश्किलों में केवल इजाफा हुआ है। सरकार की मुश्किलों को कम करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कूटनीतिक कदम उठाया गया है। ममता सरकार ने आरजी कॉलेज और आसपास के परिसर में नागरिक सुरक्षा संहिंता 2023 की धारा 163 को लागू करवाया है।
लगातार होते आंदोलन और धरना प्रदर्शन के चलते पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार बैकफुट पर चली गयी है। ऐसे में आंदोलनकरियों पर भीड़ द्वारा किए हमले के लिए भी ममता बैनर्जी की सरकार पर उंगलिया उठाई जा रहीं है। अब तो पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी बोस ने भी ममता सरकार की अक्षमता और पुलिस विभाग की लापरवाही पर बातें सुना दी है। जिसके चलते ममता बॅनर्जी ने आरजी कर कॉलेज के आस पास धारा 163 लगा दी है। वहीं ममता सरकार ने प्रदर्शन करनेवाले 43 डॉक्टरों के तबादले भी करवाए है।
सीआरपीसी की धारा 144 ही नए नगरी सुरक्षा संहिता की धारा 163 है, जिसका मतलब है की इन इलाकों में भीड़ के इक्कट्ठा होने पर पाबंदी लगी है। ममता सरकार के इस निर्णय की चारों तरफ से निंदा हो रही है। भाजपा के नेताओं ने इसे तानाशाही फैसला कहना शुरू कर दिया है। वहीं सोशल मिडिया युजर्स ने INDI अलायंस समेत सभी दलों को ममता सरकार के इस फैसले पर निंदा करने और अपना पक्ष रखने की मांग की है।
सोशल मिडिया पर डॉक्टरों ने कहा है, ममता बॅनर्जी सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर पाबंदी लगाने में दिखाई जल्दबाजी पीड़ीता के न्याय के लिए दिखते तो जनता का पारा इतना नहीं चढ़ता। वहीं सोशल मीडिया में ममता सरकार की आलोचना करने पर 22 वर्षीय युवक को कोलकाता पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया है।
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